साल 2012 में आयकर विभाग में स्टेनोग्राफर की शुरू की थी नौकरी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दीपक कश्यप ने 2012 में दिल्ली के आयकर विभाग में स्टेनोग्राफर ग्रेड-II के रूप में अपनी नौकरी शुरू की थी। वर्ष 2018 में उसे स्टेनोग्राफर ग्रेड-I के पद पर पदोन्नति मिली और बाद में उसे निजी सचिव बना दिया गया। लेकिन इसी बीच उसने अपने पद और आयकर विभाग की अंदरूनी जानकारी का गलत फायदा उठाते हुए एक ठगी का जाल बिछाया। 8 अगस्त 2023 को कश्यप अपने छह अन्य साथियों के साथ दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जनकपुरी इलाके में एक व्यापारी के घर में घुसा। व्यापारी लिफ्ट और एस्केलेटर बनाने वाली एक कंपनी का मालिक है। उस समय व्यापारी घर पर नहीं थे। घर पर केवल उनकी पत्नी मौजूद थीं। आरोपियों ने खुद को आयकर विभाग का अधिकारी बताया और महिला को डरा धमका कर उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए ताकि वह किसी से संपर्क न कर सकें। इसके बाद दीपक ने व्यापारी को फोन कर तुरंत घर बुलाया और ‘समझौता’ करने की बात कही। पुलिस जांच में सामने आया कि यह पूरी कार्रवाई आयकर विभाग की कानूनी कार्रवाई की आड़ में अवैध वसूली के उद्देश्य से की गई थी।
पहली गिरफ्तारी और फिर फरारी
इस घटना के बाद पुलिस ने दीपक कश्यप और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि बाद में उसे अदालत से जमानत मिल गई। जमानत पर छूटने के बाद कश्यप कोर्ट में पेश नहीं हुआ। 8 नवंबर 2023 को द्वारका कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। तब से पुलिस उसकी तलाश में थी, लेकिन वह लगातार जगह बदलता रहा और पकड़ में नहीं आ सका।
कैसे पकड़ा गया कश्यप?
इसके बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच ने एसीपी रमेश लांबा और इंस्पेक्टर पंकज मलिक के निर्देशन में एक टीम का गठन किया। इस टीम ने मुखबिर ने सूचना दी कि व्यापारी से ठगी का प्रयास करने वाला आयकर अधिकारी दीपक कश्यप दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में घूम रहा है। पुलिस ने फौरन जाल बिछाया और उसे धर दबोचा। डीसीपी (क्राइम) आदित्य गौतम ने बताया कि दीपक कश्यप दिल्ली के मंडावली फजलपुर का रहने वाला है। वह एक प्रशिक्षित स्टेनोग्राफर था और अपने विभागीय ज्ञान तथा पद का फायदा उठाकर फर्जी छापेमारी करने जैसे अपराधों में शामिल हो गया। उसके गिरोह में एक महिला समेत कई लोग शामिल थे। जो विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी बनकर लोगों को भ्रमित करते थे।
क्या कहती है पुलिस?
डीसीपी गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कश्यप का पूरा मकसद लोगों को डराकर अवैध रूप से धन वसूलना था। आयकर विभाग का नाम और अपनी सरकारी पहचान दिखाकर वह असली छापे जैसा माहौल बनाता था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब उसके अन्य साथियों की तलाश कर रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने और कितनी वारदातों को अंजाम दिया है।