कौन हैं विष्णु गुप्ता? जिन्होंने औरंगजेब की कब्र खोदने के लिए गृह मंत्रालय को लिखा पत्र, महाराष्ट्र से राजस्थान तक छिड़ी बहस
Chhava Movie Controversy: भारत पर राज करने वाले छठे मुगल शासक औरंगजेब को लेकर छावा फिल्म से शुरू हुई बहस ने बड़ा रूप ले लिया है। महाराष्ट्र से शुरू हुई बयानों की धमक अब राजस्थान तक पहुंच गई है।
Chhava Movie Controversy: औरंगजेब को महाराष्ट्र से शुरू हुई राजनीतिक बयानबाजी राजस्थान तक पहुंच गई है। इसके बाद हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर तीन मांगे प्रमुखता से उठाई हैं। इसमें मुगल बादशाह औरंगजेब को बर्बर शासक घोषित करने, उसके नाम पर बनी सभी सड़कों का नाम बदलने और उसकी कब्र खोदकर अवशेषों को जलाकर अरब सागर में विसर्जित करने की बात कही गई है।
गुरुवार को विष्णु गुप्ता ने तीन मांगों वाला पत्र गृह मंत्रालय को भेजा है। इससे पहले सोमवार यानी तीन मार्च को मुंबई के मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा सीट से सपा विधायक अबू आजमी ने मुगल बादशाह की जमकर तारीफ की थी। सपा विधायक अबू आजमी ने कहा था “छावा फिल्म में औरंगजेब के किरदार गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे और उसके शासन में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।” सपा विधायक के इस बयान से महाराष्ट्र की सियासत में उबाल आ गया था। जिसके बाद महाराष्ट्र में एक ओर जहां उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं दूसरी ओर उन्हें विधानसभा से सस्पेंड भी कर दिया गया है।
हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पत्र में क्या लिखा?
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र से शुरू हुई बयानबाजी की आंच राजस्थान तक पहुंच गई है। गुरुवार को हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर तीन मांगे उठाई हैं। हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा कि मुगल सम्राट औरंगजेब को बर्बर शासक घोषित किया जाए और भारत में उसके नाम पर रखे गए सभी सड़कों और स्थानों के नाम बदलने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाए। विष्णु गुप्ता ने आगे लिखा “जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने ओसामा बिन लादेन और फ्रांसीसी व रूसी क्रांति के अवशेषों के साथ किया था, उसी प्रकार महाराष्ट्र के संभाजीनगर में औरंगजेब के अवशेषों को भी खोदकर निकाला जाना चाहिए, जलाया जाना चाहिए और अरब सागर में विसर्जित किया जाना चाहिए।”
हिन्दू सेना के अध्यक्ष ने पत्र में आगे लिखा “इसके अलावा मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि अनेक ऐतिहासिक अभिलेखों और उसके अपने इतिहास “मासिर-ए-आलमगीरी” के अनुसार उसके बर्बर कृत्य अच्छी तरह से प्रलेखित हैं। चाहे वह अपने पिता के सिंहासन और अवतार के लिए अपने ही भाई-बहनों की हत्या हो या अपनी बेटियों की शादी न करने देना हो। उसके लिए हिंदू काम करते थे। फिर भी उसने कई हिंदू मंदिरों और मठों को नष्ट करने का कुख्यात “फरमान” जारी किया। उसकी बर्बरतापूर्ण सज़ा देने की हरकतें भी इतिहास में दर्ज हैं। उसने अपनी प्रजा और अन्य शासकों की बर्बर हत्या की। चाहे वे गुरु तेग बहादुर सिंह हों, गोकुला जाट हों या छत्रपति संभाजी महाराज।”
विष्णु गुप्ता ने आगे लिखा है “वह अपने पोत राज्यों, राजपूताना और मराठा शासकों के परिवारों का अपहरण कर लेता था और उन्हें बंधक बना लेता था। ताकि वह निर्विरोध शासन कर सके। औरंगजेब ने सभी गैर-मुस्लिम प्रजा और पोत राज्यों से धार्मिक असहिष्णुता कर “जज़िया” वसूला। मुगल बादशाह औरंगजेब एक असहिष्णु कट्टरपंथी था और उसकी कट्टरता के कारण करोड़ों लोगों को कष्ट सहना पड़ा। शांति और बहुसंस्कृतिवाद की भूमि भारत में ऐसे ऐतिहासिक व्यक्ति को आदर्श नहीं बनाया जाना चाहिए और न ही नवजातों को उनका नाम दिया जाना चाहिए।”
विष्णु गुप्ता ने आगे लिखा “मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि भारत सरकार मुगल सम्राट औरंगजेब को बर्बर शासक घोषित करे तथा उसकी पूजा करना दंडनीय अपराध बनाए। इसके अलावा राजपत्र अधिसूचना जारी करें और भारत में उनके नाम पर स्थित सभी सड़कों और स्थानों का नाम बदलें। महाराष्ट्र के संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र खोदकर उसके अवशेषों को अरब सागर में विसर्जित किया जाना चाहिए तथा जमीन का उपयोग गरीबों और जरूरतमंदों के लिए स्कूल या अस्पताल बनाने के लिए किया जाना चाहिए।”
कौन हैं गृह मंत्रालय को पत्र लिखने वाले विष्णु गुप्ता?
अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर अपने दावे की वजह से सुर्खियों में आए विष्णु गुप्ता राजस्थान के अजमेर के रहने वाले हैं। विष्णु गुप्ता हिन्दू सेना के नाम से एक संगठन चलाते हैं। वह संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने पिछले साल अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया था। इसको लेकर उन्होंने पिछले साल अजमेर जिला कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी।
इसमें दावा किया गया था कि अजमेर शरीफ दरगाह का निर्माण शिव मंदिर की जगह पर किया गया है। अजमेर जिला अदालत ने 27 नवंबर 2024 को अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके साथ अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और एएसआई को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा था।
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