विश्व कैंसर दिवस पर शोध लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में मंगलवार को छपा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आइएआरसी) समेत अन्य संगठनों के शोधकर्ताओं ने फेफड़ों के कैंसर के चार उप-प्रकारों ‘एडेनोकार्सिनोमा’ (ग्रंथि कैंसर), ‘स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा’ (त्वचा कैंसर), छोटे और बड़े ‘सेल कार्सिनोमा’ के ग्लोबल डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि एडेनोकार्सिनोमा (ऐसा कैंसर, जो पाचन का तरल पदार्थ उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों में शुरू होता है) की चपेट में 53-70 फीसदी ऐसे पुरुष और महिलाएं भी हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। शोध के मुताबिक कई देशों में धूम्रपान का प्रचलन कम होता जा रहा है, इसके बाद भी लोगों में फेफड़ों के कैंसर का अनुपात बढ़ रहा है।
इस कैंसर के मामले महिलाओं में ज्यादा आइएआरसी में कैंसर निगरानी शाखा के प्रमुख फ्रेडी ब्रे का कहना है कि वायु प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा है। प्रदूषित कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। हवा में छोटे कण (पीएम 2.5) और दूसरी हानिकारक गैसों के कारण लोग ग्रंथि कैंसर की चपेट में आ रहे हैं। इस कैंसर के मामले महिलाओं में ज्यादा पाए गए। बचाव के लिए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी है।