भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच दिल्ली में हाई अलर्ट, स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी
Mock Drill in Delhi: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही दिल्ली में हाई अलर्ट घोषित किया गया।
Mock Drill in Delhi: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच दिल्ली में हाई अलर्ट, स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी
Mock Drill in Delhi: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल गहराता जा रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक ओर जहां केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत दिल्ली में बड़े पैमाने पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। वहीं दूसरी ओर बुधवार को प्रस्तावित मॉक ड्रिल से पहले दिल्ली सरकार ने स्कूलों के एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में मॉकड्रिल के तहत स्कूलों में भी नागरिक सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी गई है। यह एडवाइजरी दिल्ली के गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई है।
दूसरी ओर केंद्र सरकार के आदेशानुसार मंगलवार को मॉकड्रिल से पहले दिल्ली के प्रमुख सार्वजनिक स्थलों कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, जनपथ, यशवंत पैलेस और गोल मार्केट में विशेष गश्ती दलों की तैनाती कर दी गई है। इन इलाकों में दिन-रात सतर्कता के साथ निगरानी की जा रही है। मंगलवार को सुबह-सुबह पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने कनॉट प्लेस में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए।
पूर्वी जिले के डीसीपी अभिषेक धनिया ने बताया कि शहर के सभी प्रमुख प्रवेश और निकास बिंदुओं पर वाहनों की गहन जांच की जा रही है। यह कदम संभावित आतंकी हमलों की रोकथाम के दृष्टिकोण से उठाया गया है। उन्होंने नागरिकों और यात्रियों से अपील की है कि वे सहयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
Mock Drill in Delhi: भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच दिल्ली में हाई अलर्ट, स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी
दिल्ली में 55 जगहों पर होगा अभ्यास
दक्षिण-पश्चिम जिले के डीसीपी सुरेन्द्र चौधरी ने जानकारी दी कि पुलिस अब नियमित रूप से पैदल गश्त कर रही है। जिससे आम नागरिकों में सुरक्षा की भावना बनी रहे। यह कदम ‘सामुदायिक पुलिसिंग’ को मजबूती देने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है। पुलिस अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि जमीनी स्तर पर किसी भी खतरे की जानकारी तुरंत मिल सके। दिल्ली के टर्मिनल 3 एयरपोर्ट, खान मार्केट, दिल्ली कैंट के केंद्रीय विद्यालय समेत 55 स्थानों पर मॉक ड्रिल की जाएगी। राजधानी के 11 जिलों में पांच-पांच स्थानों पर यह अभ्यास होगा, जिसमें स्कूल, बाजार और सरकारी दफ्तर शामिल हैं।
‘ऑपरेशन अभ्यास’ नाम की यह ड्रिल दोपहर से शुरू होकर रात तक चलेगी। इसमें हवाई हमले के दौरान सायरन बजाना, बिजली गुल करना (ब्लैकआउट), लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाना, अस्थायी अस्पताल बनाना और रेस्क्यू ऑपरेशन जैसे हालातों का अभ्यास किया जाएगा। दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में शाम के समय ब्लैकआउट किया जाएगा। इसके लिए 4-5 किलोमीटर तक सुनाई देने वाले नए सायरन खरीदे जा रहे हैं। स्कूलों में बच्चों को सेंसिटाइज किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग आपात मेडिकल सेवाएं उपलब्ध कराएगा। इस अभियान में एनसीसी, एनएसएस और नेहरू युवा केंद्र के वालंटियर्स भी मदद करेंगे।
1,800 आपदा मित्र होंगे प्रशिक्षित
लगभग 1,800 ‘आपदा मित्रों’ को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में सहायता कर सकें। 500 नए सायरन भी दिल्ली में लगाए जाएंगे। दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है। खासतौर पर सेंट्रल दिल्ली और दिल्ली कैंट में गश्त तेज कर दी गई है। संसद मार्ग स्थित मुख्यालय पर LARD (लॉन्ग रेंज साउंड डिवाइस) सिस्टम भी लगाया जाएगा, जिससे भीड़ को कंट्रोल किया जा सकेगा।
दिल्ली-हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर बढ़ी सुरक्षा
दूसरी ओर दिल्ली-हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर भी सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। वहां अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस की तैनाती की गई है। रात के समय विशेष गश्ती दस्तों को सक्रिय किया गया है, जिनमें मोटरसाइकिल पर गश्त करने वाली टीमें और भीड़भाड़ वाले इलाकों में विशेष पिकेट्स शामिल हैं।
पुलिस बीट अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे दुकानदारों और स्थानीय निवासियों से संवाद बनाकर उन्हें सतर्क रहने के लिए प्रेरित करें। मॉक ड्रिल के दौरान बम निरोधक दस्ते (BDS) और डॉग स्क्वॉड की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी। जनपथ, खान मार्केट और पालिका बाजार जैसे अत्यधिक भीड़ वाले स्थानों पर ‘एंटी-सैबोटाज जांच’ की जा रही है।
क्या होती है एंटी-सैबोटाज जांच?
एंटी-सैबोटाज जांच एक विशेष प्रक्रिया है। जिसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की जानबूझकर की गई तोड़फोड़, नुकसान या बाधा उत्पन्न करने वाली गतिविधियों की पहचान करना होता है। यह प्रक्रिया खासतौर पर सुरक्षा, सैन्य, औद्योगिक और सरकारी क्षेत्रों में की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई व्यक्ति या समूह किसी संगठन या परियोजना को नुकसान न पहुंचाए। इस जांच से संभावित खतरों की समय रहते पहचान की जाती है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत हो सके।
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