देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए… कई साल पहले शिवांगी पहली बार नई दिल्ली के वायुसेना संग्रहालय गई थीं। तब छोटी बच्ची थीं। उसी संग्रहालय में समय को याद करते हुए उन्होंने कहा, यहीं से मेरे रोमांच की शुरुआत हुई। यहां विमानों को देखकर मेरा मुंह खुला रह गया था। तभी फैसला कर लिया था कि पायलट बनना है। पहली बार कॉकपिट में बैठी तो नर्वस और चिंतित थी, लेकिन अकेले उड़ान भरने का लम्हा बेहद रोमांचक था।
नियंत्रण में कौशल की जरूरत शिवांगी ने बताया कि जब वह पहली बार मिग-21 लड़ाकू विमान में बैठीं तो एहसास हुआ कि लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए नियंत्रण पाने में कितने कौशल की जरूरत होती है। भारतीय वायुसेना में महिलाओं की भर्ती 1995 में शुरू हुई थी, लेकिन उन्हें फाइटर पायलट बनने की इजाजत 2015 में मिली। इस समय वायुसेना में 1,600 से ज्यादा महिला अधिकारी हैं। इनमें कई फाइटर पायलट हैं।