स्कूल प्रबंधन ने 108 छात्रों को भेजा नोटिस
सूत्रों के मुताबिक, स्कूल प्रबंधन ने नए सत्र की शुरुआत से पहले 108 छात्रों को नोटिस भेजा था। नोटिस में कहा गया कि अगर तय समय पर फीस जमा नहीं हुई तो छात्रों का नाम स्कूल से काटा जा सकता है। अभिभावकों का कहना है कि 2018-19 के बाद दाखिला लेने वाले छात्रों की फीस मनमाने ढंग से बढ़ाई गई है। जो जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा तय की गई सीमा से काफी अधिक है। इसी कारण वे बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं कर रहे। इसके विरोध में रविवार को अभिभावकों ने जिलाधिकारी आवास के बाहर भी प्रदर्शन किया था। इसके बाद जब सोमवार को बच्चे स्कूल पहुंचे तो उन्हें गेट से ही लौटा दिया गया। इसपर अभिभावक भड़क उठे। वे पहले स्कूल पहुंचे। जहां सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद मंगलवार को फिर उन्होंने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। हालांकि मामले का कोई हल नहीं निकला तो बुधवार सुबह अभिभावक बच्चों को साथ लेकर डीएम कार्यालय पहुंचे।
100 से ज्यादा अभिभावकों ने स्कूल के बाहर किया प्रदर्शन
गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र स्थित सेठ आनंद राम जयपुरिया स्कूल में मामला तब ज्यादा गरमा गया। जब सुबह साढ़े सात बजे स्कूल पहुंचे बच्चों के लिए गेट ही नहीं खुला। इसपर 100 से ज्यादा अभिभावकों ने स्कूल गेट पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने चार अभिभावकों को बुलाकर कहा कि बढ़ी हुई फीस जमा करना अनिवार्य है। इसको लेकर विरोध और बढ़ गया। वहीं, स्कूल में प्रवेश न मिलने और दो दिन से चल रहे हंगामे को देख कई बच्चों की आंखे छलक पड़ीं। अभिभावक अपर्णा शुक्ला ने बताया “मंगलवार को भी स्कूल ने बच्चों को प्रवेश नहीं दिया। बुधवार सुबह साढ़े सात बजे अभिभावक पहुंचे तब भी गेट नहीं खोला। इसीलिए 100 से अधिक अभिभावकों ने प्रदर्शन किया। इसी बीच स्कूल प्रबंधन ने चार अभिभावकों को बुलाकर कहा कि फीस उतनी ली जाएगी। इसको लेकर हम लोग डीएम के पास भी गए, लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकला है।”
पैरेंट्स एसोसिएशन ने बताया ‘डीएफआरसी’ नियमों का उल्लंघन
जयपुरिया पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा “सेठ आनंद राम जयपुरिया स्कूल उत्तर प्रदेश स्व-वित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अधिनियम 2018 की मनमानी व्याख्या कर रहा है। अधिनियम की जिस धारा का हवाला देकर स्कूल में फीस बढ़ाई जा रही है। उसी में यह भी स्पष्ट लिखा है कि अगर कोई शासनादेश जारी हुआ हो तो उसी के अनुसार शुल्क संशोधित किया जाना चाहिए। इसके बावजूद स्कूल डीएफआरसी के नियमों का उल्लंघन कर रहा है, जिसे अभिभावक स्वीकार नहीं करेंगे।”
स्कूल प्रबंधन बोला-अधिनियम के तहत ही बढ़ाया शुल्क
वहीं इस मामले में सेठ आनंद राम जयपुरिया स्कूल की प्रधानाचार्य ने अपना पक्ष रखा है। सेठ आनंद राम जयपुरिया स्कूल की प्रधानाचार्य शालिनी नांबियार ने कहा “फीस बढ़ोतरी पूरी तरह यूपी शुल्क अधिनियम 2018 के तहत की गई है। बच्चों की फीस में यह बढ़ोतरी स्कूल की शैक्षणिक गुणवत्ता और सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अनिवार्य है। हम स्कूल की ओर से बच्चों के माता-पिता को कुछ छूट देने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद अभिभावक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। फीस के मामले में अभिभावकों का अड़ियल रवैया समस्या के समाधान में बाधा बना है।”
कानपुर में भी गरमाया फीस बढ़ोतरी मामला
दूसरी ओर, यूपी के कानपुर में भी निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर घमासान मचा हुआ है। अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी में यूपी शुल्क नियामक समिति की अनदेखी की है। जबकि स्कूलों ने इन आरोपों को नकार दिया है। दरअसल, यूपी शुल्क नियामक समिति बनने के बाद यह तय हुआ था कि विद्यालय केवल पांच प्रतिशत और उस साल के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की दर के आधार पर ही फीस बढ़ाएंगे। ऐसे में अभिभावकों का आरोप है कि स्कूलों ने नए सत्र की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की दरों की अनदेखी करते हुए फीस में भारी भरकम बढ़ोतरी की है। आज डीआईओएस स्कूलों के साथ करेंगे बैठक
बीते सोमवार को कानपुर में डीएम ने डीआईओएस को शुल्क नियामक समिति के साथ बैठक कर मामले का हल निकालने को कहा था। डीआईओएस ने यूपी शुल्क नियामक समिति के साथ बैठक की, लेकिन इस दौरान कई स्कूल संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद नौ अप्रैल को यह बैठक फिर बुलाई गई है। कानपुर के डीआईओएस अरुण कुमार ने निजी स्कूलों को दोबारा नोटिस भेजकर बुधवार को होने वाली बैठक में शिकायत के जवाब साक्ष्य सहित देने के निर्देश दिए हैं। बुधवार को डीएम के समक्ष स्कूलों के प्रधानाचार्य स्पष्टीकरण रखेंगे।