शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि मामूली गंदगी से यहां सूक्ष्मजीव पनपते हैं तो ऐसा किया जाना चाहिए। इससे यात्रियों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। शोध पत्र के सह लेखक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के रोडोल्फो सालिडो ने कहा, भविष्य में किसी भी कृत्रिम वातावरण में विविध सूक्ष्मजीवों से पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने से सेहत संबंधी जोखिम को टाला जा सकता है। इसमें अंतरिक्ष स्टेशन भी हैं।
शोधकर्ताओं ने आइएसएस की सतह से लिए 803 नमूनों के विश्लेषण में देखा कि इनमें जीवाणु की कौनसी प्रजाति और रसायन मौजूद था। अध्ययन में पाया कि पूरे आइएसएस पर इंसानी त्वचा ही सूक्ष्मजीवों का मुख्य स्रोत थी। हालांकि भोजन और भोजन तैयार करने वाले क्षेत्रों में भी सूक्ष्मजीव थे। इसके अलावा वहां शौचालय में भी कुछ प्रजातियां थीं। कुल मिलाकर शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्विी के ज्यादातर नमूनों की तुलना में अंतरिक्ष स्टेशन पर पर्यावरणीय सूक्ष्मजीवों की कमी थी, जो आमतौर पर मिट्टी और पानी में पाए जाते हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए जरूरी हैं।