सिर्फ अमरीकी हितों को पूरा करने की बात करेंगे ट्रंप
ट्रंप के कुछ विचार सीधे उनकी पुस्तक ‘आर्ट ऑफ द डील’ से प्रेरित हैं। 1997 में प्रकाशित और 2005 में पुन: प्रकाशित इस पुरानी पुस्तक के अध्याय 2 का शीर्षक है ‘ट्रंप काड्र्स : द एलिमेंट्स ऑफ द डील’ और इसकी शुरुआत इस प्रकार होती है- ‘मेरी सौदेबाजी करने की शैली बहुत सरल और सीधी है।
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जगदीश रत्तनानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात में कई अन्य मुद्दे भी उठेंगे, जिन पर ट्रंप सिर्फ अमरीकी हितों को पूरा करने के लिए भारत पर दबाव डालेंगे- जैसे भारत को पूरी कीमत पर अमरीकी सैन्य उपकरण खरीदने के लिए बाध्य करना, न्यूनतम व्यापार अधिशेष के बावजूद आयात शुल्कों में कटौती की मांग या भारत की अन्य देशों के साथ दीर्घकालिक साझेदारी और कूटनीतिक संबंधों को खतरे में डालने वाले समझौते करने के लिए मजबूर करना। ट्रंप के कुछ विचार सीधे उनकी पुस्तक ‘आर्ट ऑफ द डील’ से प्रेरित हैं। 1997 में प्रकाशित और 2005 में पुन: प्रकाशित इस पुरानी पुस्तक के अध्याय 2 का शीर्षक है ‘ट्रंप काड्र्स : द एलिमेंट्स ऑफ द डील’ और इसकी शुरुआत इस प्रकार होती है- ‘मेरी सौदेबाजी करने की शैली बहुत सरल और सीधी है। मैं बहुत ऊंचा लक्ष्य तय करता हूं और फिर जो मैं चाहता हूं, उसे पाने के लिए बार-बार जोर लगाता रहता हूं। कभी-कभी मुझे अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते, लेकिन अधिकतर मामलों में मैं वही हासिल कर लेता हूं जो मैं चाहता हूं।’ सभी बातों को देखते-समझते हुए भारत को जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा। यह सर्वविदित है कि निर्वासन आदेश के तहत भारतीय नागरिकों को जंजीरों में बांधकर ले जाने के लिए सैन्य विमान का उपयोग और अमेरिकी एजेंसियों द्वारा वीडियो के माध्यम से इसका प्रचार पूरी तरह से अनुचित, अपमानजनक और खराब मंशा से प्रेरित है। यह भारतीय नागरिकों की गरिमा और अधिकारों की कीमत पर भारत की नकारात्मक छवि दिखाने का प्रयास है। इस मामले में भारतीयों के साथ वैसा ही अमानवीय व्यवहार किया गया- जैसे अमरीका द्वारा कुख्यात गुआंतानामो बे जेल शिविरों में भेजे गए वेनेजुएला के गिरोह सदस्यों के साथ किया गया। पहली सैन्य उड़ान से भारत लौटे लोगों की कहानियां हमें उनके आम गरीब साथियों के सामने आने वाले खतरों के बारे में बताती हैं, जिनमें से कई पंजाब, हरियाणा और गुजरात से हैं और उन्होंने विदेश में बेहतर जीवन की तलाश में बड़े जोखिम उठाए। इन भारतीयों को हमारे समर्थन, मदद और पुनर्वास की जरूरत है। भारत को अमरीका की इस तरह के व्यवहार की निंदा करनी चाहिए थी। यदि अमरीका से 20,000 भारतीयों के निर्वासन की योजना के तहत सभी को वापस भेजा जाए तो इसके लिए अनगिनत उड़ानों की आवश्यकता होगी। इनमें से किसी को भी बिना वकीलों तक पहुंच, चिकित्सा सहायता और मानवीय परिस्थितियों की उपलब्धता के हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए। किसी को भी जंजीरों में बांधकर वापस भेजने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। भारत को इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अपना पक्ष रखना होगा।
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