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आपकी बात…शादियों में फिजूलखर्च को रोकने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं भेजी हैं, प्रस्तुत हैं उनके कुछ जवाब

जयपुरMar 02, 2025 / 04:44 pm

Neeru Yadav

प्रतीकात्मक तस्वीर

मौलिकता पर ध्यान देना जरूरी
फ़िजूलखर्ची को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर किए गए समाधान ही कारगर होंगे। दिखावे की संस्कृति से निकलकर मौलिकता पर ध्यान देना आवश्यक है। व्यर्थ बहाया गया पैसा सिर्फ कुछ दिन ही दिखाई देगा और यह बचत संस्कृति के भी खिलाफ है। सामाजिक स्तर के प्रयासों को भी इसके समाधान में शामिल किया जा सकता है। –दामोदर शर्मा,
लूनकरनसर
जागरूकता अभियान चलाएं
अक्सर शादियों में होने वाला फिजूलखर्च व्यक्ति अपनी इच्छा से करते हैं। इसे कम करने के लिए लोगों को समझाना और जागरूक करना आवश्यक है, इसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर भी जागरूक किया जा सकता है। –दीपक फुलिया, हनुमानगढ़
भोजन की बर्बादी बंद करें
शादियों में बढ़ते खर्च को रोकने के लिए भोजन की बर्बादी, डीजे, आतिशबाजी और गिफ्ट रूपी दहेज जैसी फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। शादी में खर्च होने वाले पैसे को बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर लगाएं। परिवार के उच्च शिक्षा, नैतिक मूल्यों व संस्कारों के विकास पर लगाएं। जो परंपराएं पहले नहीं थी, बाजार की प्रतिस्पर्धा ने उसे शुरू करा दिया है। इन तमाम कारणों से खर्च बढ़ गया है, जिसे नियंत्रित करना आवश्यक है। – उमराव सिंह वर्मा, सेमरिया, बेमेतरा, छत्तीसगढ़
 समारोह सादगी भरे हों
आजकल शादियों मे दिखावे और झूठी शान के लिए फिजूलखर्ची वाकई बहुत बढ़ गई है। करोड़ों रुपये खर्च की हुई शादी मे भी जब लोग कमियां निकालने से बाज नहीं आते हैं तो सोचने वाली बात है कि शादियों मे अधिक पैसा बर्बाद करना बेवकूफी भरा काम करना ही कहलाएगा। तड़क – भड़क से दूर बगैर किसी झूठे दिखावे के सादे सुंदर और व्यवस्थित रूप से किये गये शादी समारोह, लंबे समय तक आने वाले मेहमानों द्वारा याद रखे जा सकते हैं जिन्हें आज के महंगाई के जमाने मे अपनाने में समझदारी है। लोगों को जागरूक हो कर इस बात को समझना होगा। – नरेश कानूनगो ‘शोभना’, देवास,म.प्र.
शादियों में खर्च राशि की सीमा तय हो

शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए सरकार को शादियो में एक राशि की सीमा तय कर देनी चाहिए, जिससे अधिक खर्च करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। जनता को भी इस प्रकार के फैसलों पर सरकार का साथ देना चाहिए, जिससे शादियों में फिजूलखर्ची रुकेंगी एवं साथ-साथ इससे गरीब एवं मध्यम वर्ग कर्ज़ के बोझ से बचेंगे। – अजीतसिंह सिसोदिया, खारा बीकानेर 

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