बलिया-दादर एक्सप्रेस बनी किराया लूट का जरिया
छतरपुर स्टेशन से होकर गुजरने वाली गाड़ी संख्या 01026 बलिया-दादर एक्सप्रेस और गाड़ी संख्या 01025 दादर-बलिया एक्सप्रेस को अब तक स्पेशल ट्रेन की श्रेणी में रखा गया है। ये ट्रेनें बीते 5 वर्षों से नियमित रूप से हर सप्ताह चल रही हैं, बावजूद इसके रेलवे बोर्ड ने इन्हें सामान्य ट्रेन का दर्जा नहीं दिया। किराया की तुलना पर नजर डालें तो फर्क साफ है। छतरपुर से बीना तक सामान्य ट्रेन के स्लीपर कोच में किराया मात्र 145 रुपए है, वहीं दादर-बलिया एक्सप्रेस (स्पेशल) में इसी दूरी के लिए 385 वसूले जा रहे हैं। यानी यात्रियों से एक ही दूरी के लिए 240 अतिरिक्त लिए जा रहे हैं, जबकि सुविधाएं और कोच की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है।
स्पेशल है नाम मात्र के लिए, सुविधाएं वैसी ही पुरानी
इन ट्रेनों में किसी भी प्रकार की विशेष सेवा नहीं दी जा रही। न तो एसी कोचों की गुणवत्ता में सुधार है, न ही समयबद्धता का कोई अतिरिक्त भरोसा। फिर भी रेलवे बोर्ड इन्हें स्पेशल बताकर किराये में भारी अंतर बनाए हुए है। छतरपुर स्टेशन से गुजरने वाली ऐसी ही अन्य स्पेशल ट्रेनों में शामिल हैं। 01027 दादर सेंट्रल-गोरखपुर एक्सप्रेस और 01028 गोरखपुर-दादर सेंट्रल एक्सप्रेस ट्रेनों में भी वही हालात हैं। सामान्य ट्रेन की सुविधाएं, लेकिन स्पेशल के नाम पर तगड़ा किराया लग रहा है।
यात्रियों की मजबूरी बनी मनमानी का आधार
छतरपुर के यात्री सस्ती यात्रा के विकल्पों की कमी के चलते इन स्पेशल ट्रेनों का सहारा लेने को मजबूर हैं। खासकर गर्मी और शादी-ब्याह के मौसम में यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है और मजबूरी में उन्हें ज्यादा किराया चुकाना पड़ता है। रेलवे अक्सर यह तर्क देता है कि ग्रीष्मकालीन और त्योहार विशेष ट्रेनों को स्पेशल माना जाता है, लेकिन जब वही ट्रेन सालों से बिना रुके चल रही है, तो उसका दर्जा क्यों नहीं बदला जा रहा?
क्या कहते हैं यात्री?
प्रदीप शर्मा कहतें हैं हर बार स्पेशल ट्रेन में टिकट कटाते हैं। सामान्य ट्रेन में किराया आधा होता है, लेकिन वह चलती ही नहीं। कब तक मजबूरी झेलें? संतोष मिश्रा का कहना है रेल यात्रा में दोगुना किराया क्यों? ट्रेनों को रेगुलर किया जाना चाहिए। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों द्वारा रेलवे बोर्ड से बार-बार मांग की गई है कि इन ट्रेनों को नियमित किया जाए, ताकि यात्रियों को राहत मिल सके। लेकिन रेलवे मंत्रालय और संबंधित ज़ोनल प्रबंधन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाए हैं।
रेलवे की सफाई, लेकिन समाधान नहीं
रेलवे प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों को रेगुलर करने का अधिकार रेलवे बोर्ड के पास है। कई ट्रेनों को स्पेशल कैटेगरी में रखा गया है, जबकि वे वर्षों से चल रही हैं। हालांकि रेलवे यह स्पष्ट नहीं करता कि जब ट्रेनें नियमित फेरे ले रही हैं, और यात्री संख्या भी पर्याप्त है, तो उन्हें सामान्य श्रेणी में क्यों नहीं लाया जा रहा?