ऑनलाइन बाल अश्लीलता रोकने की सराहनीय पहल
इंटरनेट वॉच फाउंडेशन की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि एआइ के जरिए तैयार की जाने वाली बाल यौन शोषण सामग्री वर्ष २०२४ में पांच गुना तक बढ़ गई है। इसी चिंता से खुद को जोड़ते हुए ब्रिटेन ने बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एआइ टूल्स के खिलाफ कानून बनाने की पहल की है।
डिजिटल दुनिया में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं की तरफ समूची विश्व बिरादरी का ध्यान लगातार जाता रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ टूल्स के जरिए बच्चों के अश्लील चित्रण ने चिंता इसलिए और बढ़ा दी है क्योंकि इसके जरिए बच्चों के वास्तविक जीवन की तस्वीरों में हेरफेर करना आसान होने लगा है। इंटरनेट वॉच फाउंडेशन की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि एआइ के जरिए तैयार की जाने वाली बाल यौन शोषण सामग्री वर्ष २०२४ में पांच गुना तक बढ़ गई है। इसी चिंता से खुद को जोड़ते हुए ब्रिटेन ने बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एआइ टूल्स के खिलाफ कानून बनाने की पहल की है। ब्रिटेन सरकार जो कानून ला रही है उसके मुताबिक बच्चों की कामुक छवियां बनाने के लिए डिजाइन उपकरण रखने, बनाने या वितरित करने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है। क्राइम एवं पुलिसिंग बिल के हिस्से के रूप में प्रस्तावित कानून को संसद में पेश किया जाएगा। साथ ही उन वेबसाइट चलाने वालों पर भी कार्रवाई होगी जो ऐसे कंटेंट को शेयर करते हैं। ऐसा कानून बनाने वाला वह पहला देश होगा। न केवल ब्रिटेन बल्कि भारत समेत दुनिया के तमाम दूसरे देशों में पिछले कुछ सालों से बाल अश्लीलता और बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को लेकर सोशल मीडिया का दुरुपयोग बढ़ा है। एआइ टूल्स ने इस तरह की सामग्री बनाना और आसान कर दिया है जिसका वास्तविकता से दूर-दूर का संबंध नहीं होता। इसने बच्चों से जिस तरह से खिलवाड़ करना शुरू किया है वह सामाजिक रूप से बड़ी समस्या का रूप बनकर तो सामने आई ही है, साइबर अपराध से निपटने की बड़ी चुनौती भी बनने लगी है। हैरत की बात यह है कि ऐसे मामलों में कई बार तो यौन शोषण के शिकार हुए बच्चों के अभिभावकों को भनक तक नहीं लग पाती कि सोशल मीडिया पर साझा की गई उनके बच्चों की फोटो व वीडियो को एआइ के जरिए अश्लील बनाकर अवैध कमाई का जरिया बनाने का काम भी हो रहा है। हमारे देश में भी बाल अश्लीलता और बाल यौन शोषण सामग्री रोकने के लिए सोशल मीडिया पर कंटेंट निगरानी के उपायों को और सख्त बनाने की जरूरत है। साथ ही सोशल मीडिया मंचों को भी अधिक जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। कानूनी सख्ती ही काफी नहीं, लोगों को भी जागरूक करना होगा कि सोशल मीडिया पर ऐसा आपत्तिजनक कंटेट जाने-अनजाने में फॉरवर्ड हुआ, तो आइटी एक्ट के तहत उन पर कार्रवाई हो सकती है।
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