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संगीत मुझे अंतर्मन की गहराइयों तक लेकर जाता है…

एल्बम ‘त्रिवेणी’ के लिए ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाली चंद्रिका कृष्णामूर्ति टंडन का जीवन के प्रति नजरिया

जयपुरFeb 05, 2025 / 01:02 pm

Neeru Yadav

एल्बम ‘त्रिवेणी’ के लिए ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाली चंद्रिका कृष्णामूर्ति टंडन

एल्बम ‘त्रिवेणी’ के लिए ग्रैमी अवॉर्ड जीतने वाली चंद्रिका कृष्णामूर्ति टंडन का जीवन के प्रति नजरिया

मैं बेहद ही साधारण तमिल परिवार से ताल्लुक रखती हूं। जब पहली बार 23 साल की उम्र में अमरीका आई तो मेरे पास सर्दी के लिए कोट भी नहीं था। हल्के सिल्क की दो साडिय़ां, एक पीले व एक नीले रंग की, जिसमें मैंने मैकेंजी के इंटरव्यू दिए और कामयाबी पाई। हम भारतीय मेहनत से नहीं डरते क्योंकि हमें कठिन परिश्रम करना सिखाया जाता है। अपनी मेहनत के दम पर अमरीका की धरती, जो कभी मेरे लिए परदेस था, अब मेरे डीएनए में है, वहां सफलता के पायदान चढ़े। 1999 तक अपनी कंपनी खड़ी कर चुकी थी, लेकिन इतना करने के बाद भी मन में संतुष्टि नहीं थी, पैसा कमाने के बाद भी लगता था कि सफलता क्या है?
मैं ‘क्राइसिस ऑफ स्पिरिट’ से गुजर रही थी। यह मुझे शांति से बैठने नहीं दे रहा था। मैं बहुत कुछ कर रही थी, लेकिन अंदर से संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी। मेरे दिमाग में हर वक्त एक ही सवाल रहता था कि मैं यहां क्यों हूं, मुझे किस चीज से खुशी मिलेगी? जीवन बहुत छोटा है, हो सकता है कि आप अपने 80वें बसंत तक भाग्यशाली रहे हों, पर आपको क्या चीज खुशी दे रही है, उसके बारे में सोचना होगा। फिर मैंने अपने चारों तरफ खोजना शुरू किया कि मुझे क्या-क्या चीजें खुशी देती हैं। मुझे अपने जवाब के तौर पर अंदर की खुशी केवल संगीत में नजर आई। मैंने अपने जीवन की यात्रा को संगीत के साथ ही आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया। संगीत मेरे लिए वह है, जो मुझे खुद से कनेक्ट करता है। वह मुझे मेरे अंतर्मन की गहराइयों में लेकर जाता है। मैं सोचती हूं कि जब तक आपका दिमाग शांत न हो, तब तक आप अच्छे संगीतकार नहीं बन सकते। इसमें मेडिटेशन बहुत मदद करता है।
मैंने इंग्लिश, फ्रेंच, पुर्तगाली बहुत-सी भाषाओं में गाने गाए हैं। संगीत ही वह माध्यम बना, जिसने मुझे मेरी असली पहचान से जोड़ा। ‘सोल कॉल’ मेरा दूसरा एलबम था। मैं पहले ‘सोल मंत्र’ के बारे में बताना चाहूंगी कि चूंकि भारतीय संस्कृति मेरे अंदर आज भी रची-बसी है तो उसका प्रभाव हमेशा मुझ पर रहा। मैंने सोचा चलो एक एलबम बनाते हैं, जो मेरे ससुर के लिए एक उपहार सरीखी थी। मेरे ससुर 90 वर्ष के थे, 90 वर्ष में आदमी क्या चाहता है। वह वास्तव में कुछ नहीं चाहते थे। मैंने एक एलबम बनाया जिसमें ओम नम: शिवाय को विभिन्न तरह से इंडियन स्केल में तैयार करने का विचार आया। यह सिर्फ मेरे ससुर के लिए था, क्योंकि उन्हें मंत्र पसंद था। उसके बाद ‘सोल कॉल’ आया।
जब ‘सोल कॉल’ रिलीज हुआ तो लोगों से मुझे उसका काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं। इसमें मंत्र था, ओम नमो नारायणा। इसको लेकर मुझे लोगों के मेल प्राप्त होने लगे, जिसमें किसी ने कहा कि मेरा बेटा एल्कोहॉलिक था, लेकिन कुछ महीनों तक उसने यह एलबम सुना और शराब छोड़ दी। किसी ने कहा कि उसकी बहन को ब्रेन ट्यूमर है, वह रिस्पॉन्स नहीं करती, लेकिन इस एलबम को सुनने के बाद आंखों से रिस्पॉन्स करने लगी है। हर स्टोरी ने मुझे बहुत भावुक कर दिया। मेरे अंतर्मन को छुआ। तब मैंने महसूस किया कि मेरा म्यूजिक हीलिंग कर रहा है। इसने मुझे आंतरिक सुख का अनुभव कराया। एक दिन कोई मेरे पास आया और वह बोला कि वह कई समय से ‘सोल कॉल’ सुन रहा है और इससे बेहतर महसूस करता है। भारतीय परम्परा के मुताबिक उस समय 16-17 साल की उम्र में शादी हो जाती थी। आपको ताज्जुब होगा कि कॉलेज में एडमिशन के लिए मैंने भूख हड़ताल कर दी थी। मेरी स्कूल की नन ने जब मां को समझाया तो वह कॉलेज एडमिशन पर राजी हुईं। जहां तक शादी की बात है, मेरी मां ने रिश्ते बहुत देखे लेकिन मैंने सब रिजेक्ट कर दिए। अपने पति से मैं ब्लाइंड डेट पर न्यूयॉर्क में मिली। मेरे पति भारतीय हैं, लेकिन हमसे बिल्कुल अलग थे। वे नॉन वेजिटेरियन थे। यह बात जब मेरी मां को पता चली तो वह बहुत शॉक्ड हो गई थीं। मैं भारतीय संस्कृति का बेहद सम्मान करती हूं।
मैं मानती हूं कि भारतीय परंपराओं में निहित योग, आयुर्वेद और प्राणायाम जीवन को स्वस्थ और समृद्ध बनाने का अद्भुत तरीका है। भारत की संस्कृति दुनियाभर में फैल चुकी है और यह पश्चिमी देशों में भी देखा जा सकता है। हमारे भारतीय मूल्यों और परंपराओं ने दुनियाभर में अपना प्रभाव छोड़ा है। भारत की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि बहुत मजबूत है, इसलिए वहां के लोग देश-दुनिया में बेहद सफल हैं। भारत में कठिन परिश्रम सिखाया जाता है, गुरुओं का आदर सिखाते हैं। मानवीय मूल्यों का सम्मान किया जाता है। वहां अतिथि देवो भव: का कल्चर है।

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