Opinion : ‘टैरिफ वॉर’ से अमरीका की भी राह आसान नहीं
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है। मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ वृद्धि कर उन्होंने इन देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा दिया है।
‘टैरिफ वॉर’ से अमरीका की भी राह आसान नहीं
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नए टैरिफ फैसलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचा दी है। मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ वृद्धि कर उन्होंने इन देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या टैरिफ केवल एक आर्थिक नीति है, या यह अब ‘शीत युद्ध’ का हिस्सा बन चुका है? ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसदी तथा चीन से आयातित वस्तुओं पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि ट्रंप ने फिलहाल 30 दिनों के लिए मेक्सिको और कनाडा पर अपने नियोजित टैरिफ को रोकने का निर्णय लिया है। यह फैसला कनाडा और मेक्सिको की ओर से सीमा सुरक्षा और मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दे पर अमरीका की चिंताओं को दूर करने के लिए उठाए गए ठोस कदमों के बाद लिया गया है।
अमरीका द्वारा मैक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ बढ़ाने तथा यूरोपीय देशों को भी टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी देने के क्या परिणाम होंगे, यह भविष्य बताएगा। लेकिन इससे अमरीकी उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी और कई देश अमरीकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर जवाब देंगे, जिससे अमरीका का निर्यात प्रभावित होगा और आर्थिक वृद्धि की गति धीमी हो सकती है। वैसे अमरीका का टैरिफ संबंधी निर्णय लागू होने पर उसके कुल आयात के लगभग 40फीसदी भाग को प्रभावित करेगा, क्योंकि अमरीका अपने अधिकांश उत्पाद इन्हीं तीन देशों से आयात करता है। इस फैसले का असर अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। मैक्सिको की 80फीसदी और कनाडा की 70फीसदी अर्थव्यवस्था अमरीकी व्यापार पर निर्भर है। यदि ये टैरिफ जल्द नहीं हटाए गए, तो सीमा-पार व्यवसायों को भारी नुकसान होगा। इसके चलते मैक्सिको मंदी में जा सकता है, अमरीका में महंगाई और आर्थिक विकास की गति धीमी हो सकती है और कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
कमजोर मैक्सिकन अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी बढ़ेगी, जिससे अमरीका में अवैध प्रवास और संगठित अपराध की समस्या और गंभीर हो सकती है। ट्रंप ने अमरीकियों को टैरिफ से बचाने के लिए प्रति दिन 800 डॉलर तक के शुल्क-मुक्त आयात की पात्रता या छूट समाप्त करने का भी आदेश दिया है। ऐसा लगता नहीं कि ट्रंप प्रशासन इस फैसले को वापस लेगा। यह चीन की ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बड़ा झटका है। चीन की ‘टेमू’ और ‘शीन’ जैसी ऑनलाइन कंपनियों ने अमरीकी खुदरा विक्रेताओं को दरकिनार कर चीन के कारखानों से सीधे अमरीकी उपभोक्ताओं तक सामान की डिलीवरी करके अरबों डॉलर का लाभ कमाया है। ट्रंप के नए आदेश से इन कंपनियों की बिक्री और लाभ में भारी गिरावट आ सकती है।
मैक्सिको, कनाडा और चीन से ट्रंप की नाराजगी के मुख्य रूप से ये कारण हैं- अमरीका में बढ़ते आयातों के कारण व्यापार घाटे में निरंतर वृद्धि हो रही है। साथ ही सस्ते विदेशी उत्पादों के कारण औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। अमरीका में लगभग 1.1 करोड़ अवैध प्रवासी रह रहे हैं, जिनमें अधिकांश मैक्सिको से आए हैं। अमरीका का आरोप है कि मेक्सिको से भारी मात्रा में नशीली दवाएं अमरीका में अवैध रूप से भेजी जाती हैं और मेक्सिको की सरकार संगठित अपराध और नशीले पदार्थों की तस्करी को संरक्षण दे रही है। अमरीका, कनाडा और मैक्सिको की ऑटो इंडस्ट्री आपस में जुड़ी हुई हैं। अमरीका में बिकने वाली हर पांच में से एक कार या ट्रक कनाडा या मैक्सिको में निर्मित होता है। 2023 में अमरीका ने मैक्सिको से 69 बिलियन डॉलर और कनाडा से 37 बिलियन डॉलर की कारें और ट्रक आयात किए। 25 फीसदी टैरिफ लागू होने से ऑटोमोबाइल उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और अमरीका में कारों की कीमत औसतन 3000 डॉलर तक बढ़ सकती है। इन प्रतिबंधों से भारत को नए व्यापारिक अवसर मिल सकते हैं। अमरीका भारत से अधिक आयात कर सकता है, विशेष रूप से आईटी, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत को बड़ा लाभ हो सकता है।
हालांकि, अमरीका द्वारा कुछ देशों पर टैरिफ दरों में अप्रत्याशित वृद्धि से उत्पन्न आर्थिक अस्थिरता से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे भारत में महंगाई बढऩे की आशंका हो जाएगी। अमरीका भारत द्वारा आयात किए जाने वाली सामग्री पर लगाए गए टैरिफ को ज्यादा बता रहा है लेकिन ट्रंप ने भारत को फिलहाल इस टैरिफ विवाद से अलग रखा है। इसके दो प्रमुख कारण हैं- एक ओर तो भारत एक विशाल उपभोक्ता बाजार है तथा दूसरी ओर भारत अमरीका के साथ बातचीत के जरिए टैरिफ विवाद हल करने के लिए तत्पर है। अब सवाल यह है कि क्या मैक्सिको, कनाडा और चीन को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ेगा या अमरीका को टैरिफ को हथियार की तरह उपयोग करने की रणनीति छोडऩी होगी? इस प्रश्न के जवाब के लिए अभी कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी।
- वेद माथुर, लेखक पूर्व बैंकर तथा आर्थिक व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं
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