भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने विश्व विजेता टीम और उनके कोचिंग स्टाफ को पांच करोड़ रुपए देने का ऐलान भी कर दिया है। निश्चित ही इससे समूची टीम की हौसला अफजाई होगी। बीसीसीआइ पदाधिकारियों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि विश्व कप की यह जीत भारत की जमीनी स्तर पर क्रिकेट की ताकत और हमारी महिला क्रिकेट के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाने वाली है। उम्मीद की जानी चाहिए कि महिला क्रिकेटरों की यह पौध ऐसा ही प्रदर्शन आगे चलकर महिला वर्ल्ड कप तक में करेंगी। क्योंकि जब बात महिला वर्ल्ड कप की बात आती है तो करीब 51 साल और महिला टी-20 वर्ल्ड कप में 15 साल बाद भी हम विश्व विजेता बनने की कतार में ही हैं। यह जरूर है कि इन दोनों स्तर पर हमने फाइनल तक का सफर तो किया, लेकिन विश्व कप हासिल करने का स्वाद अब तक नहीं चख पाए हैं। ऐसे में यह भी देखना होगा कि जूनियर स्तर के मुकाबलों में हमारी टीमें जहां बेहतरीन प्रदर्शन कर खिताब पर कब्जा जमाती है वहीं सीनियर स्तर पर आखिर स्तरीय प्रदर्शन क्यों नहीं हो पाता?
कई बार खिलाडिय़ों की चयन प्रक्रिया में भेदभाव पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। अंडर-19 टीम की इन महिला खिलाडिय़ों को आगे चलकर बेहतर अवसर दिए जाएं तो निश्चित ही हम दूसरी श्रेणियों में भी विश्व कप जीतने की राह आसान कर सकते हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि बीसीसीआई ने पिछले कुछ सालों में महिला क्रिकेटरों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए सराहनीय कार्य किए हैं। मैच फीस का भुगतान, भत्तों में वृद्धि और महिला प्रीमियर लीग जैसी पहलों के जरिए आर्थिक मदद और पहचान देने के प्रयास इनमें शामिल हैं। नई खेल नीति में भी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को तराशने का काम हो रहा है। फिर भी अभी व्यापक बदलाव और सुधार की जरूरत है ताकि हमारी महिला क्रिकेटर जीत का परचम ऐसे ही फहराती रहें।