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आपकी बात : पौधे लगाने के बाद उनकी देखरेख के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?

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जयपुरJul 07, 2025 / 05:51 pm

Neeru Yadav

बूंद-बूंद सिंचाई ड्रिप सिस्टम लगाया जाना चाहिए
अक्सर बड़े लोग सोशल मीडिया पर दिखावे के चक्कर में पौधे लगाकर फोटो खींच लेते हैं। पौधा लगाने के बाद जिम्मेदारी होती है कि पौधे की देखभाल करें। पौधे में पानी की व्यवस्था के लिए बूंद-बूंद सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया जाना चाहिए, ताकि एक साथ आसपास पौधे पनप सकें। – अजीत सिंह सिसोदिया, खारा बीकानेर
प्राकृतिक उपाय अपनाए जाएं
पौधे लगाने के बाद उनकी देखरेख के लिए नियमित पानी देना, खरपतवार हटाना, जैविक खाद डालना, धूप और छांव का संतुलन बनाना, कीटों से बचाव के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाना चाहिए। पौधों के चारों ओर जाल या बाड़ लगाकर जानवरों से सुरक्षा करनी चाहिए। समय-समय पर गुड़ाई करते रहें ताकि हवा और नमी भीतर तक पहुंच सके। निरीक्षण जरूरी है। – डॉ. अभिनव शर्मा, अलवर
पौधों की देखरेख हमारी जिम्मेदारी
पौधे की देखरेख की सबसे ज्यादा जरूरत है उसके विकास के लिए। पौधे को नियमित रूप से पानी मिलना चाहिए इसके लिए ड्रिप विधि को अपनाया जा सकता और कांटेदार बाड़ लगाई जानी चाहिए जिससे जानवर कोई नुकसान नहीं पहुंचाए। सरकारी योजना में लगने वाले पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए जिससे उनको समय पर खाद, पानी और अन्य पोषक तत्त्व मिल सकें। – गजेंद्र चौहान, कसौदा
नियमित देखभाल जरूरी
पौधे लगाने के बाद उनकी नियमित देखभाल करनी चाहिए। जब मिट्टी की ऊपरी परत सूख जाए तब पानी दें। पानी का जड़ तक पहुंचना बहुत जरूरी है। पौधों को धूप अवश्य मिले। कुछ पौधे आंशिक छाया में पनप सकते हैं। पौधों में समय-समय पर खाद देना अत्यधिक जरूरी है। जैविक खाद का प्रयोग करें। उपलब्ध न होने पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इसमें मात्रा का ध्यान अवश्य रखें। ज्यादा होने पर पौधे जल जाते हैं। पौधों को बढ़ाने के लिए उनकी छंटाई आवश्यक है। पीली पत्तियों और टहनियों को साफ करते रहें। पौधे की मिट्टी को खुरपी की सहायता से खोदकर ऊपर नीचे करते रहें ताकि उनकी वृद्धि जल्दी हो। – लता अग्रवाल चित्तौड़गढ़
मिट्टी की नमी जांचें
पानी देते समय मिट्टी की नमी जांचें। गमलों में जल निकासी छेद होना जरूरी है। रोशनी पौधे की प्रकृति के अनुसार दें (कुछ को पूर्ण धूप, कुछ को छाया चाहिए)। खाद के रूप में महीने में एक बार जैविक वर्मी कम्पोस्ट या गोबर खाद डालें। कीटों से बचाव के लिए नीम का तेल या लहसुन का घोल स्प्रे करें। निराई-गुड़ाई कर खरपतवार निकालें और मिट्टी को ढीला बनाएं। सूखी टहनियों व मुरझाए फूलों की छंटाई करें ताकि नई वृद्धि को बढ़ावा मिले। – आदित्य शर्मा, भोपाल

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