आपकी बात : रात में नशा करके गाडिय़ां दौड़ाने वालों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है?
पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, प्रस्तुत हैं पाठकों के कुछ विचार


सख्त निगरानी का अभाव
रात को नशे में गाड़ी चलाने वालों पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं- जैसे कानूनों का सही से पालन न होना, पुलिस की सीमित निगरानी, जनता की लापरवाही, कानूनी प्रक्रिया की धीमी गति और कई बार नियम तोडऩे वाले पुलिस को घूस देकर बच निकलते हैं। हालांकि, सरकार समय-समय पर सख्त अभियान चलाती है, लेकिन इसे पूरी तरह रोकने के लिए सख्त निगरानी, डिजिटल ट्रैकिंग, भारी जुर्माना और जन जागरूकता की जरूरत है।
– कविता बिरम्हान, जयपुर
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कानून का डर नहीं
भारत में नशे में गाड़ी चलाना मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत एक अपराध है और इसको रोकने के लिए और कड़े कानून बनने चाहिए। जुर्माना एवं फांसी तक की सजा होनी चाहिए, लेकिन हमारी ट्रैफिक पुलिस ले-देकर मामले को सुलझा लेते हैं। नशे में गाड़ी चलाने वाले ऐसे अमीर होते हैं, जो समझते हैं कि कानून भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
– रामनरेश गुप्ता, जयपुर
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फिल्मों के दृश्यों से होते प्रभावित
युवाओं को जिम्मेदारीपूर्वक वाहन चलाने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती, जिससे वे सहज रूप से टेलीविजन विज्ञापनों और फिल्मों में दिखाए गए दृश्यों से प्रभावित होकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे बैठते हैं। जिन स्थानों पर ऐसी घटनाएं बार-बार घटित होती हैं, उनकी पहचान कर रात्रि गश्त बढ़ाने से इस पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।
– आनंद हर्ष, जोधपुर
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फाइन देने की मानसिकता
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों द्वारा रास्तों पर रात्रि में वाहन चालकों की जांच की जाती है। दोषियों पर फाइन लगाया जाता है। फिर भी रोक न लगने के पीछे यह मानसिकता भी हो सकती है कि ज्यादा से ज्यादा फाइन ही तो देना है। ऐसे में रोक कैसे लग पाएगी?
– गजानन पांडेय , हैदराबाद
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