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आपकी बात: गर्मी में आग लगने की बढ़ती घटनाओं को किस तरह रोका जा सकता है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं…

जयपुरMay 06, 2025 / 02:16 pm

विकास माथुर

सूखे पत्तों को नहीं जलाया जाए
गर्मियों में सूखे पत्तों और कचरे को इकट्ठा कर जलाने की बजाय उसे नमी में गाड़ा या कंपोस्ट बनाया जाए। बिजली के तार, सॉकेट और उपकरणों की समय-समय पर जांच हो। साथ ही, गर्मियों में गैस सिलेंडर, पेट्रोल या कैमिकल्स छांव में और सुरक्षित जगह पर रखकर आग से बचाव किया जा सकता है।
— देवेन्द्र, शिवनगर, बीकानेर
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विद्युत उपकरणों का करें उचित रखरखाव
विद्युत उपकरणों का उचित रखरखाव करना चाहिए, जिससे शॉर्ट सर्किट होने की संभावना न हो। विद्युत बैटरी का क्षमता से अधिक उपयोग नहीं करें। जलती हुई माचिस की तीली, मोमबत्ती और अगरबत्ती आदि को छोटे बच्चों की पहुंच से दूर रखें। गैस सिलेंडर की समय समय पर जांच करवाते रहें।
—पी.सी. खंडेलवाल, सांभर लेक, जयपुर
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सभी भवनों व सरकारी कार्यालयों में हों अग्निशमन यंत्र
देश के सभी संस्थान, स्कूल-कालेज, सभी प्राइवेट व सरकारी कार्यालयों, भवनों, अस्पतालों आदि जगहों में अग्निशमन यंत्र लगाया जाए। इन यंत्रों की नियमित रूप से ऑडिट हो। आग लगने की सूचना तत्काल ​अग्निशमन विभाग को दी जाए। विभाग को संकरी गलियों के लिए छोटे अग्निशमन वाहनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि ये वाहन आसानी से आग प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच सके।
— आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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इंजन ओवरहीट का रखें ध्यान
ज्वलनशील प्रदार्थों का उचित रखरखाव किया जाए। विद्युत खतरों से सुरक्षित रहे, इंजन ओवरहीट का ध्यान रखें तथा सुरक्षित धूम्रपान की आदतें अपनाए। सामान्यतः इन चीजों पर ध्यान देकर हम इस समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते है। आग लग जाने वाली स्थिति में घबराए नहीं, संयम से काम ले।
— श्रीराम प्रजापति, केकड़ी अजमेर
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भवनों में अग्निशमन प्रणालियों की नियमित जांच हो
विद्युत उपकरणों के समुचित उपयोग हो। तारों की गुणवत्ता एवं ओवरलोडिंग के खतरों के प्रति सजगता बढ़े। सूखी वनस्पति व अन्य ज्वलनशील पदार्थों का सुरक्षित निस्तारण हो। इसके साथ ही, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों एवं आवासीय परिसरों में अग्निशमन प्रणालियों की नियमित जाँच व क्रियाशीलता सुनिश्चित हो। किसी भी छोटी चिंगारी या घटना की तत्काल सूचना देने हेतु तंत्र को सुदृढ़ करना महत्वपूर्ण है। सामूहिक सतर्कता एवं व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का निर्वहन ही इस बढ़ती आपदा की रोकथाम का सबसे सशक्त माध्यम है।
— धीरज खोडिया, गांव लाहडोद, जिला खैरथल, राजस्थान
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आग से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए
गर्मी में आग लगने की घटनाएं रोकने हेतु सावधानी अत्यंत आवश्यक है। सूखे पत्तों, घास या कचरे को जलाने से बचें। बिजली के उपकरणों की नियमित जांच कराएं और शॉर्ट सर्किट से बचाव करें। रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल जैसे ज्वलनशील पदार्थों को सुरक्षित स्थान पर रखें। सार्वजनिक स्थानों पर अग्निशमन यंत्र उपलब्ध हों। जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को आग से बचाव के उपाय सिखाए जाएं। स्थानीय निकायों को सतर्क रहना चाहिए।
— संजय माकोडे, बैतूल, मध्यप्रदेश
आग संभावित क्षेत्रों के आसपास पानी की व्यवस्था हो
ज्वलनशील पदार्थों तथा विद्युत उपकरणों का सावधानी से प्रयोग किया जाए। आग संभावित क्षेत्रों के आसपास पानी की व्यवस्था हो। अग्निशमन उपायों का प्रभावी तंत्र विकसित किया जाए।
— दुर्गा शर्मा, लूनकरणसर ( राज.)
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लोगों को किया जाए प्रशिक्षित
गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि होना आम बात है। आग पर कैसे काबू पाया जा सकता है? इस संबंध में जन जागरूकता भी जरूरी है। लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। अगर प्रशासन भी आग बुझाने के लिए समय पर पहुंच जाए तो आग की स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। प्रशासन और आम नागरिकों के सामूहिक प्रयास से आग की घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है।
— अमला श्वेता, भोपाल
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जागरूकता और सावधानी से लें काम
ज्वलनशील पदार्थों जैसे लकड़ी, कागज और पेट्रोल को सुरक्षित स्थानों पर रखना चाहिए। दूसरा, बिजली के उपकरणों की नियमित जांच और मरम्मत सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि शॉर्ट सर्किट से बचा जा सके। तीसरा, खुले स्थानों पर आग जलाने से बचें और जली हुई माचिस या सिगरेट के टुकड़ों को पूरी तरह से बुझा दें। जागरूकता और सावधानी ही इन दुर्घटनाओं को कम करने में सहायक हो सकती है।
— निकिता शर्मा, झालावाड़, राजस्थान
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सतर्क रहें, सावधान रहें
गर्मी में आग की घटनाएँ एक प्राकृतिक आपदा का रूप ले सकती हैं यदि समय रहते इन पर नियंत्रण न पाया जाए। यह केवल सरकार या किसी एक संस्था की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सतर्क रहे और अपने आस-पास के क्षेत्र को सुरक्षित रखने में योगदान दे। जागरूकता, सजगता और सावधानी से हम आग की घटनाओं को काफी हद तक रोक सकते हैं।
—लेखराज वर्मा,केशवपुरा, कोटा

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