लड़कों के साथ करती थी अभ्यास
अनामिका ने बताया, मैं नवनीत खोकर सर के पास ट्रेनिंग के लिए जाने लगी, वहां ज्यादातर लड़के ही मुक्केबाजी सीखने आते थे। मैं अकेली लड़की थी तो कोच मुझ पर ज्यादा ध्यान देते थे। मुझे लड़कों के साथ ही अभ्यास करना पड़ता था। खुद को बेहतर साबित करने के लिए मैं कड़ी मेहनत करती थी, उसका ही नतीजा था कि मैं एक साल के भीतर जूनियर नेशनल चैंपियन बन गई।
छोटे कद का उठाती हूं फायदा
अनामिका ने कहा, मेरा कद अन्य मुक्केबाजों की तुलना में थोड़ा कम है, जिससे मुझे प्रतिद्वंद्वी के जोन में जाकर फाइट करनी पड़ती है। मेरे प्रतिद्वंद्वी लंबे होते हैं तो मैं दूर से उन्हें पंच नहीं मार सकती। मेरा ध्यान हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाने और उसे अंत तक फाइट में बनाए रखने पर होता है। एक बार प्रतिद्वंद्वी दबाव में आ जाए तो मेरा काम थोड़ा आसान हो जाता है।
पापा कबड्डी खेलते थे, लेकिन उन्हें स्कोप नहीं मिला
अनामिका के पिता रोहतक में हेल्थ इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी मां हाउसवाइफ हैं। एक बड़ा भाई है, जो पढ़ाई कर रहा है। अनामिका ने बताया कि उनके पिता कबड्डी खेला करते थे, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने के लिए ज्यादा स्कोप नहीं मिला। इसलिए जब मैंने खिलाड़ी बनने की ठानी तो उन्होंने हर कदम पर मेरा सपोर्ट किया। वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद मेरी रेलवे में नौकरी लग गई। उसके बाद मेरी राह थोड़ी आसान हो गई, क्योंकि अब मुझे सारा फोकस अपने खेल पर करना होता है।
कोच सागरमल धायल ने की काफी मदद
अनामिका रेलवे में द्रोणाचार्य अवार्डी कोच सागरमल धायल के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करती हैं। उन्होंने बताया कि सागर सर ने मेरी काफी मदद की है। वे मेरी कमजोरियों को उजागर कर उन्हें बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। उनकी व अन्य सहायक कोचों की मेहनत का ही नतीजा है कि हमारी रेलवे टीम एक बार फिर चैंपियनशिप जीतने में सफल रही।
मुझे खुद पर है भरोसा
उज्बेकिस्तान में दो महीने की ट्रेनिंग कर लौटीं अनामिका ने कहा, मुझे खुद पर और अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है कि एक दिन मैं ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व जरूर करूंगी। उन्होंने बताया कि उज्बेकिस्तान में मैं जहां ट्रेनिंग करती थी, वहां पेरिस ओलंपिक 2024 के पांच पदक विजेता मुक्केबाज भी थे। ओलंपिक पदक जीतने के बाद भी उनमें जीत की भूख दिखती है। वे रुकते नहीं है और आगे की तैयारी में जुट जाते हैं। मैं भी अपनी जीत की भूख को इसी तरह कायम रखना चाहती हूं।
अगला साल है अहम
अनामिका ने कहा, बतौर मुक्केबाज मेरे लिए अगला साल बेहद अहम है। साल 2026 में एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स होने हैं, साथ ही विश्व चैंपियनशिप होनी है। ऐसे में मुझे ट्रायल में खुद को बेहतर साबित कर भारतीय दल में जगह बनानी होगी। अनामिका ओलंपिक में मुक्केबाजी की वापसी से बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, मौका मिलने पर मैं भारत के लिए पदक जीतने को जी जान लगा दूंगी।