कानूनी दखल बिना शोषण-प्रताड़ना से बचा रहीं बीट ऑफिसर्स, पाली, जालोर, सिरोही में समस्याओं के समाधान के लिए अलग से महिला बीट
Patrika Mahila Surksha Abhiyaan: पिछले तीन माह में 50 से ज्यादा मामलों में बेटियों और महिलाओं को शोषण और प्रताड़ना से मुक्ति मिली है। बेटियों और महिलाओं को छेड़छाड़, शोषण, प्रताड़ना जैसे मामलों में न्याय दिलाने के लिए यहां महिला पुलिसकर्मियों की एक अलग विंग तैयार की गई है।
पाली . एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला बीट ऑफिसर्स।
राजेन्द्रसिंह देणोक पाली पुलिस का एक नवाचार महिलाओं और बेटियों के लिए सुकूनभरा साबित हो रहा है। इसमें न कानून का सहारा लेनापड़ रहा और न उनकी बदनामीहो रही। केवल महिला पुलिसकर्मियों को अपनी समस्या साझा करने भर से उन्हें परेशानी से छुटकारा मिल रहा।
पिछले तीन माह में 50 से ज्यादा मामलों में बेटियों और महिलाओं को शोषण और प्रताड़ना से मुक्ति मिली है। बेटियों और महिलाओं को छेड़छाड़, शोषण, प्रताड़ना जैसे मामलों में न्याय दिलाने के लिए यहां महिला पुलिसकर्मियों की एक अलग विंग तैयार की गई है, जिसे महिला बीट ऑफिसर नाम दिया गया है। यह नवाचार तीन माह पूर्व पुरानी पाली रेंज में किया गया है।
एक लड़की को कोई अनजान लड़का वाट्सएप पर मैसेज भेजकर परेशान कर रहा था। वह दिनभर लड़की के नंबरों पर अनचाहे मैसेज करता रहता। कभी मिस्ड कॉल तो कभी वाइसकॉल से परेशान करता। इससे लड़की तनाव में आ गई। वह अपने परिवार के लोगों को भी नहीं बता पा रही थी। उसने क्षेत्र की महिला बीट कर्मचारी को अपनी परेशानी बताई। महिला पुलिसकर्मी ने नंबरों का पता लगाकर लड़के को समझाया।
महिला डॉक्टर को उसका पति आए दिन परेशान कर रहा था। शराब पीकर मारपीट करना आम बात हो गई। डॉक्टर होने के कारण वह अपनी परेशानी किसी के सामने साझा नहीं कर पा रही थी। बदनामी के डर से वह कानूनी कार्रवाई भी नहीं चाहती थी। उसने महिला पुलिसकर्मी से सम्पर्क किया। समझाइश से ही मामला सुलझ गया।
वॉट्सऐप ग्रुप के जरिये जुड़ी रहती हैं
इसमें ऐसी 50 महिला पुलिसकर्मी तैनात है जिनकी फील्ड पोस्टिंग नहीं है। इन्हें बीट यानी क्षेत्र आवंटित किया गया है। उन्होंने अपनी बीट में महिलाओं के वॉट्सऐप ग्रुप बना रखे हैं। वाट्सएप ग्रुप के जरिए वह महिलाओं से जुड़ी रहती हैं। फोन कॉल के जरिए भी वह बेटियों और महिलाओं से सम्पर्क साधती है।
जहां कहीं से उन्हें मैसेज मिलते हैं वह पीड़ित महिलाओं और बेटियों के पास पहुंचती है और उनकी परेशानी दूर करती है। उनकी कोशिश रहती है कि काउंसलिंग से ही मामला सुलझ जाए। जहां कानूनी दखल की आवश्यकता पड़ती है, महिला पुलिस अनुसंधान अधिकारियों का सहयोग लेकर बेटियों को न्याय दिलाती है।
इस नवाचार के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। महिला बीट ऑफिसर से अब तक 5 हजार महिलाएं जुड़ चुकी है। नरेन्द्रसिंह देवड़ा, एएसपी, महिला अपराध अनुसंधान केन्द्र, पाली
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