स्कूल से बुलाया, तब तक दम तोड़ चुका था शिवाय
घटना नैनी के महेवा स्थित एक निजी स्कूल की है। वीरेंद्र जायसवाल रोज की तरह अपने चार वर्षीय बेटे शिवाय को स्कूल छोड़कर घर लौटे थे। लेकिन सुबह 11 बजे उन्हें स्कूल से फोन आया -‘बच्चे की तबीयत खराब हो गई है, तुरंत आइए।’ वीरेंद्र जब पहुंचे, तब तक शिवाय की सांसें थम चुकी थीं। पिता ने देखा कि बेटे के शरीर पर चोट के कई निशान थे।
मां बोली- मेरा बेटा तड़प-तड़पकर प्यासा मर गया
मां पूनम ने बताया कि बेटे को जब छोड़ने जाती थी तो वह रोने लगता था। मैं उसके साथ एक-दो घंटे स्कूल में रुकती थी। जब मैं नहीं होती थी तो टीचर शिवाय को बडे़ भाई सुमित के पास क्लास में भेज देते थे। गुरुवार को शिवाय रो रहा था। तभी टीचर शिवांगी ने उसे चुप कराने का प्रयास किया। मगर वह चुप नहीं हुआ। वह उसे सुमित के पास लेकर गई। वहीं दूसरी टीचर आरती आ गई। बेटा जब चुप नहीं हुआ तो उसने शिवाय को पहले जोर से डांटा। फिर उसके गाल पर जोर से थप्पड़ मार दिया। मेरा बेटा प्यासा मर गया। वह पानी मांगता रहा, मगर टीचरों ने उसे पानी नहीं पिलाया। वह तड़प-तड़पकर बिना पानी के मर गया।
इंस्पेक्टर नैनी बृज किशोर ने बताया, बच्चे के घरवालों से बातचीत कर शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया। दो डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया। बिसरा सुरक्षित रखा गया है। मौत की वजह साफ नहीं है। परिवार ने दो टीचर के खिलाफ केस दर्ज कराया है। स्कूल में ताला लगा हुआ है। पूरा स्टाफ फरार है।
स्कूल प्रबंधक बोले- परिजन गलत आरोप लगा रहे
दीन दयाल पब्लिक स्कूल के प्रबंधक कृष्ण मोहन गुप्ता ने बताया कि परिवार वालों के आरोप गलत हैं। बच्चा स्कूल में रोता रहता था। गुरुवार को भी वह रो रहा था। शांत न होने पर टीचर ने आरती मैडम को बुलाया। आरती उसे उसके भाई सुमित के क्लास रूम में लेकर गईं। बच्चा वहां पर अपने भाई से खींचातानी करने लगा। टीचर ने डांटकर उसे बेंच पर बैठाया। तभी वह बेंच से नीचे गिर गया। उसे अस्पताल लेकर गए, जहां उसकी मौत हो गई। स्कूल से कोई लेना-देना नहीं है। मैं घटना के वक्त नहीं था। मेरा सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली में कैंसर का इलाज चल रहा है।