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फ्रांस छोड़ काशी आई लीया, बोलीं – बनारस ने दिया वो सुकून जो कहीं और नहीं मिला

काशी में कदम रखते ही लीया को मानो जीवन की नई दिशा मिल गई। उन्होंने खुद को पूरी तरह सनातन संस्कृति और महादेव की भक्ति में समर्पित कर दिया है।

प्रयागराजMay 27, 2025 / 11:22 pm

Krishna Rai

फ्रांस छोड़ काशी आई लीया

फ्रांस छोड़ काशी आई लीया

फ्रांस में फैल रही सांप्रदायिक असहिष्णुता और मुस्लिम कट्टरपंथियों की वजह से वहां का माहौल असुरक्षित और तनावपूर्ण होता जा रहा है। इस माहौल ने न सिर्फ सामान्य जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि वहां रह रहे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाला है। कुछ ऐसा ही अनुभव किया फ्रांसीसी युवती लीया ने, जिन्होंने इस अवसाद और अशांति से निकलने के लिए भारत का रुख किया और अब पिछले डेढ़ महीने से काशी में रह रही हैं।

“फ्रांस में रहना अब सुरक्षित नहीं”

लीया बताती हैं, “फ्रांस में रहना अब सुरक्षित नहीं रह गया। कट्टरपंथ का असर हर जगह दिखता है। ऐसे माहौल में रहना बेहद कठिन होता जा रहा था। मैं भीतर से टूट रही थी, लेकिन भारत आने और काशी पहुंचने के बाद मुझे शांति का अनुभव हुआ।”

काशी को लेकर कही ये बात

काशी में कदम रखते ही लीया को मानो जीवन की नई दिशा मिल गई। उन्होंने खुद को पूरी तरह सनातन संस्कृति और महादेव की भक्ति में समर्पित कर दिया है। दिनभर घाटों पर बैठकर वह भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पेंटिंग बनाती हैं और ‘हर हर महादेव’ के जाप में लीन रहती हैं। उनका कहना है, “काशी में जो आत्मिक शांति मिलती है, वह दुनिया के किसी भी कोने में नहीं मिल सकती। यह स्थान न केवल पवित्र है, बल्कि सबसे अधिक सुरक्षित भी है।”
आज लीया न केवल एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक श्रद्धालु सनातनी के रूप में काशी की आत्मा से जुड़ चुकी हैं। उनके लिए बनारस अब सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन चुका है।

पेशे से शेफ हैं लीया

गेरुआ वस्त्र, रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और होठों पर ‘हर हर महादेव’ का जाप — फ्रांसीसी युवती लीया का यह रूप अब पूरी तरह सनातनी हो गया है। लीया पेशे से शेफ हैं और फ्रांस में एक जानी-पहचानी हस्ती हैं, लेकिन वहां बढ़ती सांप्रदायिक अशांति और मुस्लिम कट्टरपंथ ने उनका जीवन असुरक्षित बना दिया। शांति की तलाश उन्हें काशी खींच लाई।

 घाटों पर बैठकर बनाती हैं पेंटिंग

अध्ययन के दौरान उन्होंने जाना कि काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी है। यहां आकर उन्हें न केवल मानसिक शांति मिली, बल्कि जीवन का उद्देश्य भी मिला। आज लीया पूरी श्रद्धा से महादेव की आराधना कर रही हैं। घाटों पर बैठकर उनकी पेंटिंग बनाती हैं और जाप करती हैं। उनका कहना है, “काशी ने मुझे नया जीवन दिया है, अब मैं आजीवन यहीं रहकर शिवभक्ति में लीन रहना चाहती हूं।”

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