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प्रयागराज

‘गीता उत्सव’ में सजी ब्रज की होली, श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले सौरभ जैन हुए शामिल

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में ‘गीता उत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ‘महाभारत’ में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले सौरभ राज जैन ने भाग लिया। इसके साथ ही, इस आयोजन में साध्वियों द्वारा युवाओं को सफलता-असफलता का आध्यात्मिक दृष्टिकोण सिखाया गया।

प्रयागराजFeb 01, 2025 / 01:31 pm

Prateek Pandey

‘गीता उत्सव’ में सजी ब्रज की होली, श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले सौरभ जैन हुए शामिल

‘गीता उत्सव’ में सजी ब्रज की होली, श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले सौरभ जैन हुए शामिल

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के भव्य आयोजन में न केवल आम जनमानस की भारी भागीदारी देखने को मिल रही है, बल्कि प्रसिद्ध कलाकार भी इसमें शामिल हो रहे हैं। स्टार प्लस के लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले सौरभ राज जैन ने ‘गीता उत्सव’ कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन मेला क्षेत्र के सेक्टर-9 में स्थित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के शिविर में संपन्न हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य भगवद्गीता के ज्ञान को आधुनिक पीढ़ी के लिए सरल और सहज बनाना था। इस दौरान संस्थान की साध्वियों ने मनोवैज्ञानिक प्रयोगों व विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को गीता के जीवन उपयोगी सूत्र समझाए।

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‘कृष्ण-अर्जुन पॉडकास्ट’ में युवाओं की चुनौतियों पर चर्चा

कार्यक्रम के दौरान सौरभ राज जैन और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज जी की शिष्या, साध्वी तपेश्वरी भारती जी के साथ एक विशेष ‘कृष्ण-अर्जुन पॉडकास्ट’ आयोजित किया गया। इस संवाद में आधुनिक युवाओं की समस्याओं पर गहन चर्चा हुई। सौरभ ने अपने अनुभव साझा करते हुए युवाओं को जीवन की चुनौतियों के बावजूद निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साथ ही, उन्होंने श्रीकृष्ण के सदैव मुस्कुराते रहने वाले स्वरूप का उदाहरण देते हुए यह संदेश दिया कि कठिनाइयों के बीच भी जीवन को मुस्कान के साथ जीना चाहिए।
महाकुंभ 2025 में गीता उत्सव: कृष्ण-अर्जुन संवाद और कीर्तन
इसी ‘कृष्ण-अर्जुन पॉडकास्ट’ के दौरान साध्वी तपेश्वरी भारती जी ने गीता के सिद्धांतों को वैज्ञानिक और रोचक तरीके से समझाने के लिए मंच पर कई गतिविधियों का प्रदर्शन किया। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपनी सफलता और असफलता, दोनों को ईश्वरीय प्रकाश से जोड़कर देखना चाहिए। गीता के श्लोक “यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं श्रीमदूर्जितमेव वा… मम तेजोंऽशसंभवम्” का संदर्भ देते हुए उन्होंने समझाया कि प्रत्येक सफलता भगवान के दिव्य प्रकाश से ही संभव होती है, जबकि असफलताएँ उनके मार्गदर्शन की अनुपस्थिति का संकेत होती हैं।

‘गीता का मनोविज्ञान’ सत्र में चंचल मन को स्थिर करने पर चर्चा

‘गीता का मनोविज्ञान’ सत्र में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के पीस प्रकल्प की इंचार्ज, साध्वी डॉ. निधि भारती जी ने मन के चंचल स्वभाव को समझाते हुए उसकी तुलना एक गुब्बारे से की, जो बार-बार ऊपर उछलने के बावजूद अंततः नीचे गिर जाता है। उन्होंने बताया कि गिरता हुआ मन विभिन्न विकारों और उलझनों में फँसा रहता है। साध्वी जी ने इस चंचल मन को स्थिर और उन्नत करने का एकमात्र उपाय बताते हुए कहा कि इसे पूर्णतः श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए, जैसा कि भगवद्गीता में कहा गया है— “मामेकं शरणं व्रज”। इस सत्र में कई मनोवैज्ञानिक प्रयोग भी प्रस्तुत किए गए, जिससे दर्शकों को भगवद्गीता के सिद्धांतों को सरल, रोचक और प्रभावी तरीके से समझने का अवसर मिला।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति ‘होली के रंग, हरि कीर्तन के संग’ रही, जिसमें सभी प्रतिभागियों और अतिथियों ने ब्रज शैली में फूलों की होली खेली। रंगों की बौछार के बीच, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की संगीत टीम ने फ्यूजन शैली में हरि-कीर्तन प्रस्तुत किया। इस मधुर और उत्साहपूर्ण संगीतमय माहौल ने वहाँ उपस्थित हज़ारों कृष्ण भक्तों को आनंदित कर झूमने पर मजबूर कर दिया।

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