यह आदेश डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। अदालत ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल द्वारा पहले प्रस्तुत की गई ‘सुधरी हुई स्थिति’ की रिपोर्ट को अविश्वसनीय मानते हुए, 8 मई को अधिवक्ता ईशान देव गिरि और प्रभूति कांत त्रिपाठी को न्यायमित्र नियुक्त किया था।
न्यायमित्रों की ओर से प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट में अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोल दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, एयर कंडीशनिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा है, आवश्यक दवाओं की कमी है और मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। इन स्थितियों की पुष्टि करने के लिए कोर्ट में वीडियोग्राफी की एक पेनड्राइव भी प्रस्तुत की गई, जिसे रजिस्ट्रार जनरल को सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है।
डॉक्टर नदारद, ऑपरेशन थियेटर में सुविधाएं नदारद
रिपोर्ट में बताया गया कि 14 मई 2025 को सुबह 9:37 बजे ऑर्थोपेडिक ओपीडी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। ऑपरेशन थियेटर की हालत और भी दयनीय थी—वहां एनेस्थीसिया ट्रॉली, मॉनिटर, ऑपरेशन टेबल, सी-आर्म मशीन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम जैसी बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं थीं। दोपहर 2 बजे के बाद कोई भी ऑपरेशन होते नहीं पाया गया।
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों से अस्पताल की स्थिति पर जवाब तलब किया है। अदालत की अगली सुनवाई पर पूरे मामले में कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।