उन्होंने हिंसा में शामिल लोगों को अपना समर्थक मानने से इनकार करते हुए कहा कि “भीड़ में कोई भी उपद्रवी शामिल हो सकता है। किस आधार पर आपने मान लिया कि वे मेरे कार्यकर्ता थे? पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, लेकिन किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।”
दोषियों पर हो कार्रवाई: चंद्रशेखर
सांसद चंद्रशेखर ने यह भी स्पष्ट किया कि वो मौके पर मौजूद नहीं थे और न ही उन्होंने किसी हिंसा का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मैंने पुलिस प्रशासन से कहा है कि अगर कोई दोषी है तो उसपर कार्रवाई की जाए लेकिन आम कार्यकर्ताओं को बेवजह परेशान ना किया जाए। हम पुलिस के साथ हैं लेकिन न्याय की मांग भी करते हैं।” प्रशासन ने दलित परिवार से मिलने से रोका
करछना में हुई हिंसा की शुरुआत उस वक्त हुई जब सांसद चंद्रशेखर आजाद कौशांबी में दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मिलने प्रयागराज पहुंचे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें सर्किट हाउस में रोक लिया। इसके बाद करछना क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और आगजनी की। पत्थरबाजी में कुछ पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग घायल भी हो गए।
50 नामजद और 500 अज्ञात एफआईआर
पुलिस ने मामले में करछना थाने में 50 नामजद और 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। हिंसा के बाद क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई और पुलिस दोषियों की पहचान में जुट गई है। चंद्रशेखर आजाद ने इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक साजिश बताते हुए अपने और पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को गलत ठहराया है।