scriptAnurag kashyap in Raipur: अनराग कश्यप ने कहा- न सैलरी मिलती थी न नाम, हम तो बस मजदूरी करते थे.. | Anurag Kashyap in Raipur: Anurag Kashyap said in Raipur, we neither got salary nor name, we used to just do labour work | Patrika News
रायपुर

Anurag kashyap in Raipur: अनराग कश्यप ने कहा- न सैलरी मिलती थी न नाम, हम तो बस मजदूरी करते थे..

Anurag Kashyap in Raipur: दो बार ऑस्कर जीतने वाले जीन हैकमैन घर में मृत पाए गए। हमें इस बात की खुशी है कि कम से कम अपने मन का काम तो कर पा रहे हैं। हालांकि डर यह भी बना रहता है कि

रायपुरMar 29, 2025 / 11:54 am

Tabir Hussain

anurag in raipur
Anurag kashyap in Raipur: मैंने शुरुआती तौर पर जितनी भी फिल्में निर्देशित थी, उस हर प्रोड्यूसर की पहली फिल्म थी। जब लोगों ने रिस्क लेना बंद कर दिया तो मैं अकेले क्या करता। हालांकि जब भी इंडस्ट्री में क्राइसेस आया, मेरे जैसे लोगों को बहुत फायदा हुआ। यह कहा जाने-माने निर्देशक अनुराग कश्यप ने। शुक्रवार को तेलीबांधा स्थित एक होटल में आयोजित टॉक शो में वे फिल्मों से जुड़े संस्मरण साझा कर रहे थे।

Anurag kashyap in Raipur: विदेश में तो ऑस्कर जीतने वाले भी सुरक्षित नहीं

कश्यप ने कहा कि विदेश में तो ऑस्कर जीतने वाले भी सुरक्षित नहीं है। ऑस्कर विनिंग डॉक्यूमेंट्री नो अदर लैंड के डायरेक्टर हमदान बल्लाल पर इजरायल में हमले हो गए। दो बार ऑस्कर जीतने वाले जीन हैकमैन घर में मृत पाए गए। हमें इस बात की खुशी है कि कम से कम अपने मन का काम तो कर पा रहे हैं। हालांकि डर यह भी बना रहता है कि किसी फिल्म से पहले कोई केस न कर दे। सेंसर बोर्ड मेंबर भी डरते हैं क्योंकि उनकी तो नौकरी है। इस चक्कर में कई फिल्में रिलीज भी नहीं हो पाती।

वासेपुर: सबसे महंगा शॉट ही सबसे सस्ता

गैंग्स ऑफ वासेपुर की मेकिंग पर कहा, हमारे पास सेट था लेकिन उसे भरने के लिए फर्नीचर नहीं थे। वेस्ट चीजों का उपयोग किया करते थे। उस फिल्म का सबसे महंगा शॉट ही सबसे सस्ता था। माइनिंग का काम चल रहा था। हम उनका इंतजार करते थे। पहाड़ खरीदकर तो उड़ा नहीं सकते थे।

न सेलरी मिलती थी न नाम

अनुराग ने अपने शुरुआती दौर को याद करते हुए कहा, हम जब काम करते थे तब न सैलरी मिलती थी न नाम। हम तो बस मजदूरी करते थे। लेकिन खाने को मिल जाता था और प्रैक्टिस हो जाती थी। हमारे लिए यही बहुत था। बातचीत के दौरान अनुराग ने कहा कि लक तभी काम करेगा जब आप कुछ करेंगे। बिना लॉटरी टिकट खरीदे लॉटरी भी नहीं लगती। सफलता के लिए मेहनत बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया, इन दिनों केरला की फिल्में अच्छी आ रही हैं।
स्पेशल बच्चों ने साइन लैैंग्वेज में पढ़े कोट

टॉक शो से पहले कोपलवाणी के स्पेशल बच्चों ने अनुराग कश्यप के कुछ चर्चित कोट्स को साइन लैंग्वेज में पढ़ा, जिसे टीचर पदमा ने सुनाया। चेतना ने पढ़ा- प्रशंसक आपके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं क्योंकि वे आपको घेरे में रखना चाहते हैं। कुंदन ने पढ़ा- भारत को बेहतर निर्माताओं की जरूरत है न कि स्क्रीन राइटर्स की। गौकरण ने पैरों से साइन लैंग्वेज यूज करते हुए पढ़ा मैं अभी भी वही हूं जहां मैंने शुरुआत की थी। मैं अभी भी संघर्ष कर रहा हूं। गौकरण ने अनुराग कश्यप को पेंटिंग भी गिफ्ट की। गौकरण बोल सुन नहीं सकते और नही उनके हाथ हैं। उन्होंने अनुराग की पेंटिंग पैरों से बनाई थी।

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