अनूठा तर्क दिए जाने और बीमा पॉलिसी लेने के बाद भी क्लेम नहीं देने पर पक्षकारों ने अधिवक्ता राजेश भावनानी के माध्यम से जिला फोरम में परिवाद लगाया। जिसके बाद फोेरम के अध्यक्ष डाकेश्वर प्रसाद शर्मा सदस्य निरूपमा प्रधान और अनिल कुमार अग्निहोत्री ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए चोला एमएस जनरल और स्टार हैल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम देने का आदेश पारित किया।
केस 1 ग्वालियर में कराया उपचार
चोला एमएस जनरल इंश्योरेंस
रायपुर के पंडरी शाखा से कमल वीरवानी (46साल) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी। इसकी अवधि14 अगस्त 2020 से 10 मई 2021 तक थी। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में कोरोना रक्षक पॉलिसी से नियमानुसार कवर्ड थी। कोविड होने पर डॉक्टर की सलाह पर ग्वालियर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती हुए। ठीक होने पर क्लेम किया। लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम को खारिज करते हुए कहा कि अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं थी। साथ ही कहा कि कोरोना के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पालन करने से ठीक हो सकते थे।
केस 2 गंभीर रूप से बीमार नहीं
स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के राजेन्द्र नगर स्थित ब्रांच से कांकेर निवासी भावना बुधवानी (50साल) ने स्वयं और पति के नाम पर संयुक्त रूप से बीमा लिया। इसकी अवधि 27 सितंबर 2020 से 26 सितंबर 2021 तक थी। कोविड पॉजिटिव होने पर रायपुर के अस्पताल में 8 से 14 अप्रैल 2021 तक भर्ती रहीं। स्वस्थ्य होने पर बीमा कंपनी में क्लेम किया। लेकिन, गंभीर रूप से बीमार नहीं होने और घर पर ही उपचार कराने से ठीक होने का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर दिया। फोेरम ने कहा- बीमा कंपनी ने सेवा में निम्नता बरती
दोनों प्रकरणों की सुनवाई करते हुए फोरम के अध्यक्ष और सदस्यों ने कहा कि दोनों डॉक्टर के निर्देश पर भर्ती हुए थे। किस मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाना है या नहीं इसकी निर्णय डॉक्टर ही कर सकता है। इसे देखते हुए कमल को 1 लाख 50 हजार रुपए 21 सितंबर 2021 से अदायगी तक 6 फीसदी ब्याज के और 15000 रुपए वाद व्यय और मानसिक परेशानी के एवज में देने का आदेश दिया।
वहीं भावना को 1 लाख 7323 रुपए 22 जून 2022 से भुगतान किए जाने तक 6 फीसदी ब्याज के साथ और 15000 रुपए 15000 रुपए वाद व्यय और मानसिक परेशानी के एवज में देने का फैसला सुनाया। उक्त दोनों ही रकम का भुगतान 45 दिन के भीतर अदा करने का निर्देश दिया।