यह सभी बारकोड आईआईटी भिलाई ने तैयार किए हैं। राज्य में लगभग 3 करोड़ किताबें बांटी जानी है। अभी 2 करोड़ किताबों का वितरण शेष है। आईआईटी भिलाई की ओर से लगभग 3 करोड़ 15 लाख बारकोड तैयार किए गए हैं। इसमें विषय के अनुुसार बारकोड बनाए गए हैं।
CG Govt News: आईआईटी की टीम कर रही है काम
आईआईटी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर विष्णु वैभव द्विवेदी ने बताया कि सभी किताबों को यूनिक बार कोड दिया गया है। यह सिस्टम पुस्तकों की ट्रेकिंग और वितरण की निगरानी के लिए है। पुस्तक छपने से पहले ही सभी 24 पब्लिशर्स को बारकोड बनाकर दे दिए गए थे। उसमें बुक आइंडेंटिफिकेशन नंबर भी दिया गया है। इसमें स्कैन करते ही पब्लिशर से लेकर स्कूल टीचर, जिसने स्कैन किया है, वहां तक की जानकारी रहेगी। इसमें
किताब बांटी गई है या नहीं, कौन से विषय की किताब बांटी जा चुकी है, कौन से विषय की किताब नहीं पहुंची है जैसी सभी तरह की जानकारी मिल जाती है।
पहले चालान से अब यू-डाइस के डाटा का उपयोग
जानकारों ने बताया कि पिछले साल तक किताबों का वितरण चालान से होता था। पहले बच्चों की संख्या स्कूल, फिर संकुल, फिर जिले से आती थी। इसमें बच्चों की संख्या भी बढ़ जाती थी। अभी यू-डाइस में दर्ज संख्या के हिसाब से किताबें छपी हैं। पिछले साल ही इसी कारण से 8 लाख किताबें बची हुई थी। यू-डाइस के उपयोग से जितनी किताबें होनी चाहिए उतनी पब्लिश हो रही हैं और बारकोड से यह पता चलेगा कि किताब बंटी है या नहीं। किताब वितरण में भ्रष्टाचार पर रोक
पिछले साल किताब वितरण में भ्रष्टाचार की बात सामने आई थी उसके बाद से पुस्तक वितरण प्रभाणी में बदलाव किया गया है। उसके बाद एससीईआरटी ने आईआईटी भिलाई के सहयोग से बारकोड बनाया। इसे सभी
किताबों में लगाया गया है। सभी किताबों में इसे लगाने के पीछे का उद्देश्य यह है कि पुस्तकों की ट्रेकिंग की जा सके।