पता ही नहीं चला कैसे बीत गया एक साल
आखिर कमिश्नर व काउंसलिंग से जुड़े
अधिकारियों को ये क्यों पता नहीं रहा कि 2024-25 में पैरामेडिकल कोर्स की 230 सीटों पर एडमिशन देना है। पैरामेडिकल कोर्स में रेडियोग्राफर, ओटी व लैब टेक्नीशियन की पढ़ाई करवाई जाती है। 2023 में प्रवेश दिया गया था। इसके बाद कमिश्नर कार्यालय के अधिकारी एडमिशन देना ही भूल गए हैं।
पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि एडमिशन पर रोक जैसा न शासन का आदेश है और न ही दिल्ली से। इसके बाद भी अधिकारी घोर लापरवाही बरत रहे हैं। इस साल भी मई में 12वीं का रिजल्ट निकल चुका है। छात्र सरकारी जिला अस्पतालों में कोर्स करने के लिए लालायित है, लेकिन पिछले सत्र में प्रवेश नहीं होने से उनमें घोर निराशा है। कुछ छात्र
सरकारी कोर्स का एडमिशन का राह देखते रहे। कुछ छात्रों ने साल बर्बाद न करते हुए निजी संस्थान में एडमिशन ले लिया।
2023 में मेरिटोरियस छात्रों ने लिया प्रवेश
2023 में 12वीं के मेरिटोरियस छात्रों के आवेदन पर पैरामेडिकल संचालनालय के अधिकारी भी चौंक गए थे। दरअसल ये छात्र 2021 बैच यानी कोरोनाकाल के समय के थे। तब कांग्रेस सरकार ने बिना परीक्षा के सभी छात्रों को पास कर अच्छा खासा नंबर भी दे दिया था। एडमिशन लेने वाले छात्रों में 500 में 493, 491, 487 अंक वाले छात्र शामिल हैं। 12वीं बायोलॉजी में 97-98 फीसदी अंक लाने वाले लैब व एक्सरे टेक्नीशियन कोर्स में प्रवेश लिया। यही नहीं 90 से 98.6 फीसदी अंक लाने वाले ऐसे 246 छात्र थे, जिन्हें सीटों का आवंटन किया गया था। अधिकारियों के अनुसार इन छात्रों को फार्म भी ठीक से भरना नहीं आ रहा था। ये मेरिटोरियस छात्र नीट यूजी में 50 नंबर भी नहीं ला पाए। ऐसे में इन्होंने मेडिकल के बजाय पैरामेडिकल कोर्स में प्रवेश लिया।
न कॉल रिसीव, न मैसेज का जवाब दिया
मामले में पक्ष जानने के लिए पत्रिका ने कमिश्नर शिखा राजपूत तिवारी को दो बार कॉल किया उन्होंने रिसीव नहीं की। मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।
प्रदेश में न केवल सरकारी बल्कि निजी क्षेत्रों में भी लैब व डायग्नोस्टिक सेंटरों की बाढ़ आ गई है। जहां निजी अस्पतालों में लैब व डायग्नोस्टिक सेंटर हैं, वहीं बाहर भी लैब व डायग्नोस्टिक सेंटर स्वतंत्र रूप से चल रहे हैं।
एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई जांच के लिए रेडियोग्राफर व सभी ब्लड जांच के लिए लैब टेक्नीशियन की आवश्यकता होती है। बड़ा सेटअप हो तो 4 से 5 रेडियोग्राफर व लैब टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है। यही कारण है कि न केवल सरकारी, बल्कि निजी संस्थानों में पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन पैक हो जाता है।
नौकरी की डिमांड ज्यादा, दो साल पहले बुकिंग
इस कोर्स की इतनी डिमांड है कि सर्टिफिकेट मिलते ही सरकारी व निजी अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सेंटरों में नौकरी मिल जाती है। कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं बायोलॉजी पास होना अनिवार्य है। सीजी, सीबीएसई बोर्ड 12वीं का रिजल्ट पहले ही निकल चुका है। पैरामेडिकल कोर्स से जुड़े अधिकारी ने पिछले साल नवंबर में आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की जानकारी दी थी, लेकिन जुलाई 2025 आ गया है और प्रवेश प्रक्रिया का पता नहीं है। सीटों के रिनुअल में देरी होने की बात कुछ अधिकारियों ने कही थी। निजी संस्थानों में प्रवेश लिए छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। जुलाई-अगस्त में उनका कोर्स भी पूरा हो जाएगा। ये कोर्स दुर्ग, अंबिकापुर, रायगढ़ व दूसरे जिला अस्पतालों में चल रहा है।