बता दें कि अधिकांश निकायों में राशि के अभाव के कारण समय पर बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया जाता है। इससे नगरीय निकायों और विभाग को हर वर्ष अनावश्यक ही सरचार्ज व एरियर्स की राशि के रूप में बिजली विभाग को अतिरिक्त राशि का भुगतान करना पड़ता है। ऊर्जा और बिजली बिल के ऑडिट से इनकी बचत के उपाय करने में सहूलियत होगी।
CG News: ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की कवायद
निकायों में बिजली बचाने और इसके खर्च में कमी लाने के लिए पारम्परिक ऊर्जा के बदले ग्रीन एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे निकायों का खर्च घटने के साथ ही पर्यावरण भी सुधरेगा। हर साल 100 से 200 करोड़ की राशि खर्च: जानकारी के मुताबिक,
नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा निकायों में बिजली बिल के समायोजन के लिए बिजली विभाग को हर साल लगभग 100 करोड़ से 200 करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की जाती है। वर्तमान में करीब 800 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित होने के कारण सरचार्ज की राशि में लगातार वृद्धि हो रही है।
निकायों में विद्युत खपत घटाने और सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाने से लंबी अवधि में लगभग 800 करोड़ रुपए से एक हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। साथ ही ग्रीन एनर्जी के उपयोग से निकायों को कार्बन क्रेडिट भी प्राप्त होगा। इसके अलावा निकायों में ऊर्जा प्रबंधन में सौर उर्जा को शामिल करने एवं ताप ऊर्जा के उपयोग में कमी से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा भी मिलेगा।
पायलट परियोजना की कार्ययोजना तैयार
CG News: सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग से नगरीय निकायों को ऊर्जा दक्ष बनाने की कवायद की जा रही है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा निकायों में विद्युत खपत की वास्तविक जानकारी जुटाने के लिए एनर्जी ऑडिट कराने के लिए पायलट परियोजना की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। एनर्जी ऑडिट के माध्यम से नगरीय निकायों में बिजली की वास्तविक खपत और व्यवस्था में व्याप्त अनियमितताओं, कमियों की पहचान तथा विद्युत देयकों के विश्लेषण के बाद विद्युत दक्ष उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने, विद्युत खपत में कमी से देयकों में मितव्यता तथा चरणबद्ध तरीके से सौर ऊर्जा प्रणाली जैसी वैकल्पिक व्यवस्था को अपनाया जाएगा।