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CG News: 5 दिनों में हटाएं शराब दुकान.. नहीं तो करेंगे उग्र आंदोलन, अधिकारियों के सामने फूटा ग्रामीणों का गुस्सा पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके पुत्र हरीश के करीबी दोस्त, कर्मचारी, कारोबारी, कांग्रेस नेता और ठेकेदार के ठिकाने भी शामिल हैं। तलाशी के दौरान 19 लाख नकदी, सहित लेनदेन, निवेश, प्राॅपर्टी के दस्तावेज, बैंक ट्रांजेक्शन और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद हुए है। इसमें शराब घोेटाला करने सिंडीकेट बनाने और अवैध वसूली से अर्जित ब्लैकमनी लिये जाने के इनपुट मिले हैं। वहीं अपने नजदीकी लोगों, मित्रों, साझेदारों के पास सुरक्षित रखे जाने और निवेश करने की जानकारी मिली है। इस समय 150 सदस्यीय टीम उक्त सभी लोगों के ठिकानों में
दस्तावेजों की जांच करने के साथ ही पूछताछ कर बयान दर्ज कर रही है।
ब्लैकमनी से कारोबार शराब घोटाले से अर्जित ब्लैकमनी को अपने करीबी लोगों के कारोबार और प्राॅपर्टी में निवेश करने की जानकारी मिली है। छापेमारी की जद में आने वालों के बैंकों में लाखों रुपए के ट्रांजेक्शन मिले है। सभी आपस में कारोबार की आड़ में ब्लैकमनी को व्हाइट करने की जानकारी मिली है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री कवासी का वाहन चालक बशीर भी इसमें शामिल था। रकम के हस्तांतरण से लेकर कैश ट्रांजेक्शन में उसकी भूमिका मिली है।
कारोबार में ब्लैकमनी ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि शराब घोटाले की रकम को ठिकाने लगाने कारोबारियों और करीबी लोगों का सहारा लिए जाने के इनपुट मिले हैं। इसे देखते हुए आय-व्यय, रकम के ट्रांजेक्शन और इसके श्रोत की जानकारी जुटाई जा रही है। कवासी लखमा का वाहन चालक भी काफी संपन्न बताया जाता है। इसी तरह योग आयोग के सदस्य राजेश नारा, जयदीप भदौरिया, हार्डवेयर व्यापारी अनीश बोथरा, शेख बशीर, अहमद बशीर के घर व दुकानों में फर्जीवाड़ा के दस्तावेजी साक्ष्य बरामद हुए हैं।
दो भाइयो पर शिकंजा अंबिकापुर के ब्रह्मरोड स्थित सेठ बसंतलाल मार्ग में कपड़ा कारोबारी व सप्लायर फर्म के संचालक अशोक अग्रवाल व मुकेश अग्रवाल के ठिकानों को जांच के दायरे में लिया गया है। दोनों डीएमएफ मद से करोड़ रुपए की सप्लाई में बड़ा घोटाला करने का आरोप है। उनके खिलाफ डीएमएफ घोटाले में एफआईआर भी दर्ज है। इसके पूर्व ईडी की टीम कारोबारी भाइयों के घर छापेमारी कर चुके है।
नेटवर्क से जुड़े शराब घोटाला उजागर होने के बाद भी छापेमारी की जद में आने वाले सभी आपसी नेटवर्क से जुडे़ हुए थे। इसके चलते उक्त लोगों के नाम उजागर नहीं हुए लेकिन, इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस को डीकोडिंग करते ही शराब की ब्लैकमनी को सिंडीकेट बनाकर खपाने और लाभांवित होने की सनसनीखेज जानकारी मिली। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस घोटाले में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।