Tax Scam in CG: भंडाभोड़…
साथ ही टैक्स फाइलिंग की अपडेट करने कहा गया है। यह घोटाला जनवरी 2024 में आयकर अधिनियम की धारा 133ए (1) के तहत किए गए सर्वेक्षण अभियान के दौरान उजागर हुआ था। जांच के दौरान पता चला कि कुछ कर सलाहकार के एक संगठित नेटवर्क ने
कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए टैक्स फाइलिंग में फर्जी कटौती और छूटों का गलत इस्तेमाल किया।
फर्जी टैक्स दावे कर कर्मचारियों को अधिक रिफंड दिलाया गया। इसके एवज में वह कमीशन वसूल करते थे। इस रैकेट में कर्मचारियों की वास्तविक आय को छिपाना, व्यावसायिक खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और टैक्स देयता को कृत्रिम रूप से कम करना शामिल था।
कर सलाहकार की भूमिका संदिग्ध
आयकर विभाग ने अब तक तीन प्रमुख कर सलाहकार को चिन्हांकित किया है। जिन्होंने हजारों कर्मचारियों और अधिकारियों के फर्जी रिफंड क्लेम में अहम भूमिका निभाई। कर प्रणाली की खामियों का फायदा उठाकर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया। 2020-21 और 2021-22 के टैक्स आकलन दोबारा खोले गए।
इस खुलासे के बाद आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के फाइलों को जांच के दायरे में लिया है। ताकि अवैध रूप से मिले रिफंड की वसूली की जा सके। वहीं चालू वित्तीय वर्षों (2022-23, 2023-24, 2024-25) की जांच भी शुरू कर दी गई है। आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद ही फर्जीवाडे़ की वास्तविकता का खुलासा होगा।
जागरूकता अभियान
इस बड़े घोटाले के उजागर होने के बाद आयकर विभाग ने सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसमें एनएमडीसी (किरंदुल और नगरनार), एसईसीएल (गेवरा, भटगांव, बैकुंठपुर और रायगढ़), भिलाई स्टील प्लांट और कई बैंकिंग संस्थान शामिल है। उक्त सभी में कार्यरत कर्मचारियों को झूठे रिफंड दावों के कानूनी परिणामों से अवगत कराया जा रहा है। वहीं सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों तक अपनी जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी चल रही है।