कई बार की बैठकों में लिए गए ऐसे मामलों में शहर के अंदर या आउटर में कहीं भी प्रशासन का बुलडोजर नहीं चला। हैरानी ये कि अवैध निर्माणों के मामले में इन दोनों सरकारी विभागों का रवैया एक जैसा है। क्योंकि अवैध निर्माण का नियमितीकरण का नियम भी समाप्त हुए करीब दो साल होने को है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई रिजल्ट नहीं।
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अभी ताजा मामला बोरियाकला में पचपेड़ीनाका-धमतरी मुय हाइवे सड़क का है। यहां बनी अवैध पांच मंजिला होटल की तस्वीर सामने आने पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसरों के बीच हलचल तेज हुई है। क्योंकि यह क्षेत्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अंतर्गत आता है। ये ऐसा चौंकाने वाला मामला है कि निर्माणकर्ता किशोर पृथवानी, अनिल पृथवानी नामक व्यक्ति ने हाईवे सड़क से 100 मीटर जगह छोड़ने का जो मानक तय है, उसकी धज्जियां उड़ा दी।
इतना ही नहीं बेखौफ बिना नक्शा, ले-आउट के करीब पांच हजार वर्गफीट में पांच मंजिला होटल का निर्माण कराया। जिसे कलेक्टर की नियमितीकरण कमेटी में आवेदन निरस्त होने के बाद उस फाइल को विभाग में बंद कर दिया गया था, लेकिन रविवार को पत्रिका में खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने पर विभाग के अधिकारी सत कार्रवाई करने की बातें कह रहे हैं।
अवैध निर्माण हटाएं, नहीं तो चलेगा बुलडोजर
जिन अवैध निर्माण के प्रकरणों को निरस्त किया गया है, उन्हें तोड़ने का नियम है। या तो निर्माणकर्ता खुद हटाएं, नहीं तो नगर एवं ग्राम निवेश के अधिनियम के तहत बुलडोजर से तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी। बोरियाकला के पांच मंजिला अवैध होटल निर्माण की फाइल निकलवा कर जल्द कार्रवाई करेंगे।
विनीत नायर, संयुक्त संचालक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग
कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी में नियमितीकरण का आवेदन 12 दिसंबर 2024 को निरस्त करते हुए पांच मंजिला होटल के निर्माण अवैध होने पर मुहर लग गई है। पत्रिका टीम निर्माण स्थल पर पहुंची तो पता चला कि निर्माणकर्ता किसी भी तरह सत्तापक्ष के किसी रसूखदार नेता को बेचने की फिराक में है। नाम नहीं छापने पर एक व्यक्ति ने बताया कि पिछले तीन-चार महीने से सौदेबाजी की चर्चा चला रही है। अभी तक किसी ने हिमत नहीं जुटाई है। क्योंकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के रेकॉर्ड में किशोर पृथवानी का प्रकरण क्रमांक 198/23 बोरियाकला खसरा क्रमांक 1433/1, 1433/3 और 557.62 वर्गमीटर है। 14 जुलाई 2022 के बाद का निर्माण होने के कारण प्रकरण निरस्त दर्ज है। इसलिए कई महीनों से जस का तस पड़ा हुआ है।