Women’s Day Special: छत्तीसगढ़ के रायपुर में महिलाएं जितनी जागरूक होंगी, वे उतनी ही सुरक्षित होंगी। आज के दौर में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ महिलाओं को तकनीकी रूप से भी सक्षम होना बहुत जरूरी है, तभी एक साथ कई जिम्मेदारियों को निश्चिंत होकर निभा सकती हैं।
सामाजिक सुरक्षा के साथ ही हर महिला की आर्थिक सुरक्षा भी जरूरी है। राजस्थान पत्रिका के 70वां स्थापना दिवस और महिला दिवस के उपलक्क्ष्य में पत्रिका कार्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें रायपुर के अलावा बिलासपुर, दुर्ग, दंतेवाडा, बलरामपुर के महिला संगठनों की प्रमुख ने हिस्सा लिया और महिला सुरक्षा अपने विचार रखे।
Women’s Day Special: महिला को खर्च करने का अधिकार हो
रायपुर के डॉ. उज्जवला वर्मा ने कहा की महिला यदि आर्थिक रूप से सक्षम होंगी तो खर्च करने का अधिकार भी मिलना चाहिए। आर्थिक स्वतंत्रता वहीं है जब आप खर्च करने का निर्णय खुद लेती हैं। महिलाएं काम तो कर रहीं हैं, लेकिन खुद खर्चे करने के लिए स्वतंत्र नहीं रहती, इसलिए उन्हें तकनीकी रूप से भी मजबूत होना होगा। महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ना आना चाहिए।
महिलाओं की जागरुकता ही सुरक्षा
शिक्षाविद ममता दीवान ने कहा की महिला सुरक्षित तभी हो पाएंगी, जब वो जागरूक रहेगी। जो आपके अधिकार हैं, उसकी जानकारी आपको होना ही चाहिए। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना जरूरी है। पुरुषों को समझना होगा कि हर स्त्री की अपनी स्वतंत्रता होती है, वो जितने अच्छे से घर को मैनेज करती है, वैसा पुरुष नहीं कर सकते।
बेटों को संस्कार दो, बेटियां सुरक्षित रहेगी
अर्पण महिला मंडल के अध्यक्ष साधना दुग्गड़ ने कहा की आजकल लोग कहते हैं कि नारियों में सहनशीलता कम हो गई है ,लेकिन ऐसा नहीं है, बल्कि अब हमें बेटियों के साथ ही बेटों को भी वही संस्कार देना होगा। पुरुषों की सोच बदलेगी तो हमारी बेटियां अपने आप सुरक्षित रह सकती है। समाज में सभी की अपनी जिम्मेदारियां है, जो हर वर्ग को समझना जरूरी है।
मोबाइल की लत छुड़ाना बहुत जरूरी
प्रशिक्षिका ईला चंद्राकर ने कहा की हम बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं, लेकिन मोबाइल की लत छुड़ाना बहुत जरूरी है। यह बच्चों के दिमाग को खराब कर रहा है। वे आलसी होते जा रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि हमें हमेशा कुछ नया सीखना चाहिए। हर महिला को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए, तभी वह सुरक्षित रह सकती है।
बेटियों को पढ़ाना बहुत जरूरी
बेटियों को पढ़ाना बहुत जरूरी है, क्योंकि मेरी शादी तो बचपन में ही हो गई थी। पढ़ भी नहीं पाई, लेकिन जब देखा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं तो मैंने भी अचार बनाने का काम शुरू किया और आर्थिक संबल मिला तो अपनी बेटियों को पढ़ा रही हूं। लड़कियों का आत्मनिरर्भर होना बहुत जरूरी है।
खुद को स्वीकारना जरूरी
लोक कलाकार के दीप्ति ओगरे ने कहा की हम जैसे हैं, हमें लोग उसी तरह स्वीकार करें। यह बहुत जरूरी है, तभी हम कोई भी कार्य बहुत अच्छे से कर सकते है और पहचान बना सकते हैं। गांव के लोग बहुत सहज होते हैं और प्रतिभाओं की कमी नहीं है। आर्थिक स्वतंत्रता भी जरूरी है, तभी फोकस होकर काम कर सकते हैं।
सतर्कता बहुत जरूरी
किसान ममता पैकरा ने कहा की मैं पहली बार रायपुर आई हूं और पत्रिका ने मेरा सम्मान किया। यह मेरे लिए बढ़ी बात है। हम बलरामपुर के चांगरो गांव में रहते हैं। यहां का जीराफूल चावल पूरे देश में प्रसिध्द है। हम सारी महिलाएं ही खेती संभालतीं हैं। हम आज सतर्क हैं और लोकेशन ट्रेस करके हम रायपुर में यहां पहुंचे हैं। तकनीकी ज्ञान बहुत जरूरी है।
क्या हुआ.. उसे भूल जाओ
राधाभक्ति गृह उद्योग के वंदना ठक्कर ने कहा की हमारे साथ पहले क्या हुआ, उसे भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। तभी हम सफल हो सकते हैं। पुराने दुखों को भूलकर ही आप मजबूत बनते हैं, क्योंकि वहीं आगे बढ़ने की हिम्मत देता है। बेटियों को खूब पढ़ाओ और उन्हें आगे बढ़ाओ.. तभी महिलाएं सशक्त हो सकती है।
सोशल मीडिया महिलाओं से चल रहा
निर्माता निदेशक के भारती वर्मा ने कहा की आजकल सोशल माडिया महिलाओं पर ही चल रहा है। फैशन से लेकर सारे आइटम के लिए सबसे बड़ी खरीदार महिलाएं ही हैं। जो महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी रहती हैं, उन्हें समाज अलग नजरिए से देखता है। ऐसी महिलाएं स्वतंत्र होकर कार्य कर सकती हैं।
महिलाएं हर काम कर सकती हैं
किसान सतरूपा भगत ने कहा की मैं पहली बार रायपुर आई हूं। मुझे लगता है कि महिला हर काम कर सकती हैं। हम गांव में रहते हैं। गांवों की हर महिला रोजाना कई तरह के काम करती हैं। वे परिवार को आर्थिक संबल भी देती हैं। महिलाओं को पढ़ाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वे ही आगे की पीढी़ को संवारेगी।
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