स्कूलों की सख्ती से हो रही जांच
राजगढ़ के सारंगपुर ब्लॉक में वर्तमान में 180 से अधिक निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें से कई स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे के किनारे स्थित हैं। शिक्षा विभाग द्वारा इन सभी स्कूलों की गहन जांच की जा रही है। यह जिम्मेदारी बीआरसीसी (ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर) को सौंपी गई है, जिनकी टीम लगातार निरीक्षण कर रही है। बीआरसीसी बीएल बर्मा के अनुसार, ‘अब तक लगभग 87 प्रतिशत स्कूलों की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि 20 विद्यालयों की जांच अभी शेष है। जो स्कूल शासन द्वारा तय मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।’ अनिवार्य मापदंडों की सूची
शासन ने निजी विद्यालयों के लिए कई अनिवार्य मापदंड तय किए हैं, जिनका पालन करना सभी स्कूलों के लिए आवश्यक होगा—
- प्रत्येक विद्यालय में प्रशिक्षित शिक्षक और प्रधानाध्यापक अनिवार्य।
- शिक्षकों की जीओ-टैगिंग और ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
- विद्यालय का पंजीकृत समाज या न्यास का प्रमाण-पत्र आवश्यक।
- स्कूल और खेल मैदान का निर्धारित क्षेत्रफल अनिवार्य।
- लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय, दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शौचालय।
- स्कूल भवन और आधारभूत सुविधाओं का मानकों के अनुरूप होना जरूरी।
- खेल मैदान, खेल सामग्री, पुस्तकालय, समाचार पत्र, स्वच्छ पेयजल, अग्नि सुरक्षा उपकरण और पर्याप्त फर्नीचर की व्यवस्था अनिवार्य।
- आवेदन शुल्क और सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) का विवरण प्रस्तुत करना होगा।
नियम नहीं माने तो होगी मान्यता रद्द
शिक्षा विभाग की इस सख्ती के बाद स्कूल संचालकों में हलचल मच गई है। कई स्कूलों ने आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए हैं, जबकि कुछ अब भी प्रक्रिया पूरी करने में देरी कर रहे हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो विद्यालय 31 मार्च तक नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।