CG News: निजी अस्पताल लाने का कोई चार्ज
डॉ. पवन जेठानी, पीआरओ एमसीएच: निजी अस्पताल के एजेंट
मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में ही सक्रिय रहते हैं। वहां आपातकाल में या फिर गंभीर स्थिति में पहुंचने वाले मरीजों को अस्पताल में डॉक्टर और जांच उपकरण नहीं होने जैसी बातें बताकर पहले ही डरा दिया जाता है। फिर धीरे से बीमारी या समस्या के आधार पर उन्हें निजी अस्पताल का पता बता दिया जाता है। वहां से एंबुलेंस के माध्यम से निजी अस्पताल लाने का कोई चार्ज नहीं लिया जाता।
निजी एंबुलेंस वालों को परिसर के अंदर वाहन लगाने से मना किया गया। अस्पताल में कुछ केस ऐसे आते हैं, जिनका विशेषज्ञ ही उपचार कर पाता है, या उसके लिए सीटी या एमआरआई जांच जरूरी होती है। ऐसे मरीजों को हायर सेंटर भेजने की मजबूरी होती है। निजी अस्पताल नहीं भेजा जाता।
ऐसे काम करता है पूरा नेटवर्क
दरअसल गंभीर मरीजों को जब सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया जाता है, तो उसके सरकारी वाहन के चालक पहले ही निजी अस्पताल वाले एजेंट या फिर निजी अस्पताल के एंबुलेंस के चालक का उसकी जानकारी दे दी जाती है। अस्पताल परिसर में घुसते ही उस मरीज के परिजनों को घेर लिया जाता है। फिर उसे निजी अस्पताल ले जाया जाता है। इस तरह की प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्र से खास कर रात में आने वाले मरीजों के साथ हो रहा।
दुर्व्यवहार की भी लगातार शिकायत
CG News: मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट सहित अन्य कई विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इसके अलावा स्टाफ नर्सों की भी कमी है। अस्पताल में सीटी स्कैन व एमआरआई मशीन नहीं है। ऐसे में एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल मरीजों को इलाज मुश्किल हो जाती है। रात में अस्पताल में
जूनियर डॉक्टर ही तैनात रहते हैं। रात में अस्पताल के डाक्टर सहित अन्य स्टाफ द्वारा दुर्व्यवहार करने की भी शिकायत आती है।