5 लाख तक लग सकता है जुर्माना
रिपोर्ट में दही का फैट प्रतिशत कम आया है। नियमत: रिपोर्ट 14 दिनों की भीतर आनी थी, लेकिन पूरे प्रदेशभर में खाद्य पदार्थों की सैंपल जांच के लिए एक ही लैब
रायपुर में स्थित होने के कारण जांच रिपोर्ट आने में देरी हुई। हालांकि इस बीच संबंधित दही का पूरा स्टाक बिक चुका है। बताया जा रहा है कि इस मामले में संस्थान के संचालक पर 1 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता था।
खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई होती है। यदि खाद्य पदार्थ असुरक्षित पाया जाता है, तो ऐसे मामले को अपराधिक माना जाता है, जिसकी सुनवाई क्रिमिनल कोर्ट में होती है। यदि खाद्य पदार्थ में मिथ्या छाप मिलता है, तो उसकी सुनवाई एडीएम कोर्ट में होती है। मिथ्याछाप जैसे मामलों में तीन लाख तक जुर्माना लग सकता है। लंबे समय के बाद सती हो रही।
दिवाली पर्व के समय जलाराम स्वीट्स से दही का सैंपल लिया गया था, जांच में दही में फैट प्रतिशत कम आया है। संबंधित संस्थान पर न्यायालय से जुर्माना लगाया जाएगा। – डोमेंद्र ध्रुव, आईएफएसओ खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग