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राजनंदगांव

Patrika Mahila Suraksha: घर-घर परोसी जा रही अश्लीलता, इसे रोकने की जरूरत…

Patrika Mahila Suraksha: राजनांदगांव जिले में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के विरूद्ध ‘पत्रिका’ द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

राजनंदगांवMar 02, 2025 / 11:47 am

Shradha Jaiswal

Patrika Mahila Suraksha: घर-घर परोसी जा रही अश्लीलता, इसे रोकने की जरूरत...
Patrika Mahila Suraksha: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के विरूद्ध ‘पत्रिका’ द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत ही शनिवार को शहर के कस्तूरबा महिला मंडल भवन में महिला संगठनों के बीच संगोष्ठी आयोजित की गई।
संगोष्टी में कस्तूरबा महिला मंडल, अराधना महिला मंडल, कसौंधन वैश्य महिला मंडल और वीनस महिला मंडल की महिलाएं बड़ी संख्या में मौजूद रही। सभी क्षेत्र व वर्ग से जुड़ी महिलाओं ने संगोष्ठी में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को लेकर अपनी बाते रखीं।
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Patrika Mahila Suraksha: समाज में मानसिकता बदलनी होगी

शहर के प्रमुख संगठनों से जुड़ी महिलाओं ने महिलाओं से जुड़े अपराध के लिए आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी, मोबाइल, सोशल मीडिया, इंटरनेट के दुरुपयोग, संयुक्त परिवार का न होना, आज की पीढ़ी में संस्कार की कमी, महिलाओं के प्रति समाज की सोच से लेकर विभिन्न बिंदुओं पर अपनी बात रखी।
Patrika Mahila Suraksha: घर-घर परोसी जा रही अश्लीलता, इसे रोकने की जरूरत...
सभी ने महिला अपराध को लेकर कड़े कानून बनाने और अपराधियों के खिलाफ आवाज उठाने और एक महिला को दूसरे महिला की समस्या को समझने और मदद के लिए आगे आने पर जोर दिया। महिलाओं ने ‘पत्रिका’ के इस अभियान को ज्वलंत मुद्दा बताते हुए सराहनीय पहल बताया।

अतिथियों ने यह बातें कही

अधिवक्ता शारदा तिवारी ने कहा की आज भी महिलाएं व्यक्तिगत निर्णय नहीं ले पातीं। घर में माहौल के साथ-साथ सामाजिक परिवेश को भी बदलने की जरूरत है। महिलाओं को दबाया न जाए। घर से लेकर समाज, संस्था या अन्य कहीं पर भी उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे। इसके लिए भारतीय कानून व्यवस्था ने उन्हें अधिकार दे रखें हैं, लेकिन ऐसे कानून का आज दुरुपयोग भी बहुत हो रहा है। इसे भी रोकने की जरूरत है।
प्राध्यापक कमला कॉलेज के हरप्रीत कौर गरचा ने कहा की किसी की सोच को बदलने के लिए परिवार में अच्छे संस्कार की जरूरत होती है। महिलाएं आखिर किससे असुरक्षित हैं, पुरुषों से। इसलिए महिलाओं के प्रति कैसा व्यवहार किया जाए, इसके लिए पुरुष वर्ग को शिक्षित करने की जरूरत है। महिलाओं को बहुत सारे अधिकार मिले हुए हैं, जरूरत है गलत के खिलाफ आगे आकर आवाज उठाने की। गर्ल्स स्कूल-कॉलेज में टीचर को छोड़कर कोई पुरुष कर्मी नहीं होने चाहिए।
सचिव कस्तूरबा महिला मंडल डॉ. साधना तिवारी ने कहा की महिला होना कोई गुनाह नहीं है। हां लेकिन ध्यान रखिए ‘आजाद रहिए ख्यालों से और बंधे रहे संस्कारों से।’ महिलाएं जो कर सकती हैं, वह पुरुष भी नहीं कर सकता। महिलाओं के लिए यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा एक ऐसी समस्या है, जिसके खिलाफ वे खुलकर सामने नहीं आ पा रही है। कई शिक्षित महिलाएं भी लोक-लाज के डर से सामने नहीं आती। इस सोच को बदलने की जरूरत है। सही और गलत को समझकर विरोध करना जरूरी है।

अधिकारों का सही इस्तेमाल करें

पूर्व सदस्य महिला आयोग के डॉ. रेखा मेश्राम ने कहा की आज टीवी, मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से घर-घर और प्रत्येक लोगों को अश्लीलता परोसी जा रही है। इस वजह से सोच में गंदगी आई है, इसका ही परिणाम है कि छोटी बच्ची से लेकर 70 साल की बुजुर्ग महिला के साथ बलात्कार के केस हो रहे हैं। पहले संयुक्त परिवार रहते थे। बुजुर्ग बच्चों पर नजर रखते थे, संस्कारित करते थे। बेटी के साथ बेटों को भी संस्कारित करने की जरूरत है। इसी से समाज में सुधार आएगा। बेटी मान है, तो बेटा सम्मान।
अधिवक्ता एवं काउंसलर के कुसुम दुबे ने कहा की छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसी कई परम्मपराएं है, जिससे महिलाएं बंधी हुई हैं। खुद पर होने वाले अत्याचार को अपना भाग्य समझकर आवाज नहीं उठातीं, लेेकिन भारतीय कानून व्यवस्था में एक पुरुष की अपेक्षा महिलाओं को अधिक अधिकार मिले हुए हैं। बस उसे जानने की जरूरत है। महिलाओं को उनके अधिकारों को लेकर जागरूक करने की जरूरत है। ताकि वे खुद पर और आसपास किसी महिला पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकें। पत्रिका के महिला रक्षा कवच अभियान के तहत कस्तुरबा महिला मंडल भवन में कार्यशाला,विभिन्न संगठनों की महिलाओं ने रखी बात

ये महिलाएं रहीं मौजूद

कार्यक्रम में कस्तूरबा महिला मंडल की संरक्षक शारदा तिवारी, सचिव डॉ. साधना तिवारी, कमला कॉलेज की प्राध्यापक डॉ. हरप्रीत कौर गरचा, अधिवक्ता कुसुम दुबे, पूर्व सदस्य महिला आयोग डॉ. रेखा मेश्राम, कस्तूरबा महिला मंडल की संरक्षक सरस्वती माहेश्वरी, अध्यक्ष अल्का जानी, मंडल की कार्यकारिणी सदस्य माया अग्रवाल, अनिता जैन, शोभा चौरसिया, जनक गुप्ता, अनु गुप्ता, लक्ष्मी गुप्ता, कसौंधन वैश्य महिला मंडल से रक्षा गुप्ता, श्यामा गुप्ता, संगीता यादव, ज्योति श्रीवास्तव, सुमन यादव, तनुजा महिलांगे, उमा सिन्हा, नम्रता साहू, मंजू जैन, वर्णिका गुप्ता, स्वाति डुंभरे, लीनस क्लब से माला शुक्ला, टीना अग्रवाल, उषा खंडेलवाल, लक्ष्मी गुप्ता, राधा तिवारी, शशि प्रभा खंडेलवाल, कुसुम रायचा, स्वर्णलता बरडिया, प्रभा बरडिया, विकास बारापात्रे, प्राचार्य प्रवीण गुप्ता, अर्चना दास, छाया खंडेलवाल, शारदा खंडेलवाल, आशा सोनछत्रा, निशा जोबनपुत्र, लक्ष्मी गुप्ता सहित अन्य महिलाएं मौजूद रहीं।

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