शिलान्यास से शून्यता तक: एक अधूरी यात्रा
नाथद्वारा शहर के पास स्थित गुंजोल गांव में करीब 80 बीघा भूमि पर 325 करोड़ रुपये की स्वीकृति के साथ जिले के पहले मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी गई थी। चारों ओर उम्मीदों का उत्साह था। लोगों ने सोचा था कि अब इलाज के लिए उदयपुर या जयपुर की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। लेकिन ये सारी आशाएं अब बीते कल की बातें बनती जा रही हैं। कॉलेज निर्माण का काम करीब एक साल पहले चारदीवारी के निर्माण के साथ रुक गया। न तो काम आगे बढ़ा, न ही किसी इमारत की आहट सुनाई दी। निर्माणाधीन क्षेत्र अब वीरान पड़ा है। अब वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
आखिर सरकार ने अब मांग ही लिया हिसाब-किताब
सबसे बड़ा संकेत इस बात का है कि सरकार ने अब निर्माण कार्य की कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी (राजस्थान स्टेट रोड डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन) से अब तक के खर्चों का ब्योरा मांगा है। इसका मकसद है कि “देय राशियों का निपटारा करना।” यह बिल्कुल वैसा है जैसे किसी अधूरी कहानी का अंतिम अध्याय लिखा जा रहा हो। प्रशासनिक हलकों में भी यह चर्चा जोरों पर है कि जब सरकार परियोजना की देनदारियां निपटाने में लगी हो और आगे का काम एक साल से बंद हो, तो साफ है कि यह मेडिकल कॉलेज शायद कभी धरातल पर उतर ही नहीं पाएगा।
राजमेस ने भी मांगा विवरण, खतरे में मेडिकल कॉलेज
राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (राजमेस) ने भी अब कार्यकारी एजेंसी से विस्तृत खर्चों का विवरण मांग लिया है। जानकारों का कहना है कि यह एक और संकेत है कि सरकार इस परियोजना को अब खत्म मान चुकी है। यह कदम आमतौर पर तभी उठाया जाता है जब कोई योजना अब पुनः शुरू होने की स्थिति में नहीं होती।
तत्कालीन विधायक ने लगाया जोर, वर्तमान विधायक ने भी उठाया था मुद्दा
जिले का पहला राजकीय मेडिकल कॉलेज कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में स्वीकृत हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार के अंतिम बजट 2023-24 में इसकी घोषणा की थी। 325 करोड़ की योजना स्वीकृत तो हुई, मगर भाजपा सरकार बनते ही ठंडे बस्ते में चली गई। मेडिकल कॉलेज लाने के लिए नाथद्वारा के तत्कालीन विधायक और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने खासे प्रयास किए थे। शिलान्यास के बाद चारदीवारी निर्माण के दौरान ही कॉलेज का काम बंद हो गया तो वर्तमान विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने भी विधानसभा में काम दोबारा योजनाबद्ध तरीके से शुरू करने की सरकार से गुहार लगाई थी।
मेडिकल कॉलेज को लेकर कब-कब क्या हुआ?
भूमि का आवंटन
5 जून 2023 को जिला कलक्टर ने राजस्व ग्राम गुंजोल में राजकीय मेडिकल कॉलेज राजसमंद-नाथद्वारा के नाम भवन निमार्ण के लिए 20 हेक्टेयर यानि करीब 80 बीघा भूमि का आवंटन किया था।
एएस-एफएस स्वीकृति
8 जून 2023 को राजकीय मेडिकल कॉलेज राजसमंद-नाथद्वारा के लिए राज्य सरकार के बजट घोषणा 2023-24 के तहत 325 करोड़ रुपए की राशि की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मंजूर की गई। कार्यकारी एजेंसी नियुक्त
13 जून 2023 को मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजमेस) द्वारा राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम (आरएसआरडीसी) को कार्यकारी एजेंसी नियुक्त किया।
बाउंड्रीवॉल वर्कऑर्डर
31 अगस्त 2023 को मेडिकल कॉलेज की चारदीवारी निर्माण के लिये कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी ने कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) जारी किया। नोडल अधिकारी नियुक्त
3 अक्टूबर 2023 को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नियमों व मानदंडों का पालन करते हुए मेडिकल कॉलेज निर्माण से संबंधित कार्यों के क्रियान्वन और समन्वयन के लिए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया।
23.75 करोड़ स्वीकृत
3 अक्टूबर 2023 को ही मेडिकल कॉलेज के क्रिटिकल केयर हॉस्पीटल निर्माण व उपकरणों के लिए 23 करोड़ 75 लाख रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां जारी की। सपनों का शिलान्यास
5 अक्टूबर 2023 को राजकीय मेडिकल कॉलेज के भवन निर्माण के लिए शिलान्यास का राज्य स्तरीय कार्यक्रम किया गया, जिसमें खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअली जुड़े। भवन का वर्कऑर्डर
5 अक्टूबर 2023 को कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी ने मेडिकल कॉलेज भवन के निमार्ण का वर्कऑर्डर जारी किया। डेढ़ साल में अभी तक सिर्फ बाउंड्री वॉल का कार्य हुआ है।
मेडिकल कॉलेज बनने से क्या होते हैं लाभ, विस्तार से समझिए
- उन्नत चिकित्सा सुविधाएः स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य से जुड़े ज्यादातर मामलों में बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ता। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल सैंकड़ों बेड्स से लैस होते हैं, जिसमें अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण और विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं। जटिल और गंभीर बीमारियों का इलाज व देखभाल की सुविधाएं नजदीक में ही मिल जाती है। आपातकालीन सेवाएं जैसे ट्रॉमा सेंटर, आपातकालीन ऑपरेशन थिएटर मिल जाती है। दुर्लभ और जटिल बीमारियां जिनका इलाज छोटे अस्पतालों में संभव नहीं होता, उनका इलाज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो सकता है।
- शिक्षा और करियर के अवसरः मेडिकल कॉलेज स्थानीय छात्रों के लिए डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन आदि बनने का अवसर प्रदान करता है। कॉलेज मेडिकल सेक्टर में उच्च शिक्षा के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान होता है, जिससे स्थानीय और बाहरी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने का मौका देता है।
- रोजगार के अवसर खुलतेः मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़ा अस्पताल हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है। जैसे डॉक्टर, नर्स, स्टाफ, क्लर्क, सफाई कर्मचारी, आदि। इसके अलावा आसपास होटल, किराए का मकान, रेस्टोरेंट, मेडिकल शॉप्स आदि की मांग भी बढ़ती है।
- आर्थिक विकास सुदृढ़ होताः मेडिकल कॉलेज से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बहुत बढ़ावा मिलता है, क्योंकि बाहर से विद्यार्थी पढ़ने और लोग इलाज के लिए आते हैं। इससे किराए की आवासीय सुविधाएं, खान-पान, परिवहन और व्यापार में भी वृद्धि होती है।
- रिसर्च और नवाचारः मेडिकल कॉलेज में मेडिकल रिसर्च होती है जिससे नई दवाइयां, इलाज और तकनीकें विकसित होती हैं। इससे न केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार होता है, बल्कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान को लेकर क्षमता भी बढ़ती है।
- आपदा प्रबंधन और महामारी नियंत्रणः किसी महामारी या आपदा के समय मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, संसाधन और शोध संस्थान बहुत मदद करते हैं। कोविड जैसी महामारी व स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी आपदाओं में मेडिकल कॉलेज परीक्षण, इलाज और वैक्सीनेशन जैसे कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाता है।
इनका कहना है
सरकार ने ये पूछा है कि अभी तक कितना खर्च हुआ है। कहा गया है कि अब तक की जो भी देनदारी है, उसका क्या हिसाब-किताब भिजवाया जाए। इसके मायने क्या है, ये स्पष्ट रूप से मैं नहीं कह सकता। कोई भी निर्णय सरकार ही ले सकती है।
लालचंद वर्मा, एक्सईएन, आरएसआरडीसी