महज चंद महीनों में उपलब्धियां
‘प्रोजेक्ट सक्षम सखी’ की बदौलत जहां वर्ष 2023-24 में स्वयं सहायता समूहों द्वारा महज़ 22 लाख रुपये की बिक्री हुई थी, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा 1.73 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसी तरह, 90 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृति का आंकड़ा भी 117 करोड़ को छू गया है।
8,000 समूह, 1 लाख परिवार लाभान्वित
राजसमंद जिले में सक्रिय 8000 से अधिक स्वयं सहायता समूह और 1 लाख से ज्यादा परिवार सीधे तौर पर इस योजना से जुड़कर लाभान्वित हो चुके हैं। महिलाओं की आय, आत्मविश्वास, कार्यकुशलता और सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हैं। ब्रांडिंग, प्रशिक्षण और मार्केटिंग से बदली तस्वीर
- महिलाओं को ब्रांडिंग, सेल्स और मार्केटिंग का प्रशिक्षणराजकीय कार्यालयों, विद्यालयों और हॉस्टलों में स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता
- ऑर्गेनिक मसाले, अचार, फिनाइल, स्टेशनरी और तुलसी पॉट जैसे उत्पादों की आपूर्ति
बड़े औद्योगिक संस्थानों से भी मिले ऑर्डर
ट्रेड फेयर और क्रेडिट कैंप से रफ्तार मिली। 19 अक्टूबर 2024 और 1 मार्च 2025 को आयोजित विशेष मेगा कैंप और ट्रेड फेयर में समूहों को सेल्स ऑर्डर और ऋण सौंपे गए। डीएमएफटी फंड से 1 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। जिसके तहत ‘राजीविका रूरल मार्ट एवं प्रशिक्षण केंद्र’ स्थापित किया जा रहा है।
स्थाई आमदनी के लिए मजबूत नेटवर्क तैयार
राजीविका की योजना के अंतर्गत अब राजकीय संस्थानों में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की आपूर्ति समूहों से सुनिश्चित की जा रही है। इससे महिलाओं को नियमित बिक्री और स्थायी आमदनी का जरिया मिला है। जिला प्रशासन द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं कि सभी सरकारी संस्थानों में समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता से खरीदा जाए।
‘मिशन वृंदा’ के तहत गिफ्ट हैम्पर लॉन्च
जिला कलक्टर ने ‘मिशन वृंदा’ के तहत तैयार स्पेशल गिफ्ट हैम्पर भी लॉन्च किया। 220 रुपये की कीमत वाले इस पैक में एक मिट्टी का गमला, ऑर्गेनिक खाद, तुलसी बीज और निर्देशिका शामिल है। यह हैम्पर प्लास्टिक मुक्त राजसमंद की दिशा में भी एक प्रेरक पहल साबित होगा।
क्या बोले जिला कलक्टर
जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा ने कहा कि “अब राजसमंद की महिलाएं सिर्फ सशक्त नहीं, आत्मनिर्भर भी हैं” “प्रोजेक्ट सक्षम सखी” से महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता का नया युग शुरू हुआ है।अब वे न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में भी अपने समूहों को स्थापित कर रही हैं।