रामनवमी पर रवि पुष्य योग का संयोग
6 अप्रैल को राम जन्मोत्सव के दिन रवि पुष्य योग पूरे दिन विद्यमान रहेगा। इस शुभ योग में किए गए पूजा-पाठ, हवन, दान-पुण्य और मंत्र जाप का विशेष फल प्राप्त होता है। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की विशेष पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इससे पहले 5 अप्रैल को दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। वहीं, 30 मार्च, 1 अप्रैल, 2 अप्रैल (लक्ष्मी पंचमी) और 4 अप्रैल को सर्वार्थसिद्धि योग का शुभ संयोग रहेगा, जिससे इन दिनों भी देवी उपासना विशेष फलदायी होगी।
नव संवत्सर का शुभारंभ और रामनवमी का महत्व
30 मार्च से नव संवत्सर विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ होगा। इस दिन पूरे देश में हिंदू नववर्ष की शुरुआत उत्साह और उमंग के साथ की जाएगी। रतलाम में नववर्ष के स्वागत में नागरिकों के मस्तक पर तिलक लगाया जाएगा और उन्हें नीम रस व मिश्री का सेवन करवाया जाएगा।
रामनवमी पर माता की सवारी और विशेष योग
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं और 7 अप्रैल को हाथी पर ही प्रस्थान करेंगी। हाथी को सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है, जिससे इस वर्ष अच्छी वर्षा और धन-धान्य की वृद्धि का योग बन रहा है। 30 मार्च को नवरात्र का शुभारंभ सर्वार्थसिद्धि योग में होगा, जिसमें इंद्र योग और रेवती नक्षत्र भी रहेगा। इस महापर्व के दौरान चार दिन रवियोग और तीन दिन सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। रामनवमी का पूजन विधि और लाभ
रामनवमी के दिन सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए और भगवान श्रीराम की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन रामचरितमानस का पाठ, सुंदरकांड का पाठ और रामनाम जप विशेष लाभकारी होता है।
रामनवमी पर पूजन के लाभ
- घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
- सभी कष्टों और दोषों का नाश होता है।
- संतान प्राप्ति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना पूरी होती है।
- व्यापार और नौकरी में उन्नति होती है।
रामनवमी पर अयोध्या में विशेष आयोजन
भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में इस बार रामनवमी का पर्व ऐतिहासिक रूप से मनाया जाएगा। रामलला के मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना होगी और हजारों श्रद्धालु श्रीराम के जन्मोत्सव में शामिल होंगे। इस बार की रामनवमी विशेष संयोगों और योगों से भरपूर है। माता के आगमन और प्रस्थान का शुभ संकेत, नव संवत्सर की शुरुआत, और रामनवमी पर रवि पुष्य योगइन सभी कारणों से यह नवरात्र अत्यंत फलदायी माना जा रहा है। श्रद्धालु इस अवसर पर अधिक से अधिक पूजा, व्रत और दान करके मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।