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150 साल बाद फिर खड़ी हो गई गुप्तकालीन ये अनोखी नरसिंह प्रतिमा, मुस्कुराते भगवान

MP News: 1874-75 में ब्रिटिश आर्मी इंजीनियर और पुरातत्वविद एलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी इसके अवशेषों की खोज, कनिंघम एएसआइ के पहले डायरेक्टर-जनरल भी थे, आप भी देखें अक्सर रौद्र रूप में नजर आने भगवान का मुस्कुराता अनोखा रूप

सागरMar 31, 2025 / 12:36 pm

Sanjana Kumar

MP news

MP news: 160 किमी दूर सागर के एरण कस्बे में है क्षतिग्रस्त हालत में मिली, अब फिर से खड़ी हुई गुप्तकालीन नरसिंह प्रतिमा.

MP News: राजधानी भोपाल से करीब 160 किमी दूर सागर के एरण कस्बे में एक अनोखी नरसिंह प्रतिमा (Unique Narasimha Statue) फिर से खड़ी हो गई है। यह प्रतिमा गुप्त काल (Gupta Period) की है। खास बात यह है कि इसमें नरसिंह भगवान मुस्कुरा रहे हैं, जबकि आमतौर पर उन्हें रौद्र रूप में दिखाया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 150 साल बाद इस प्रतिमा को फिर से स्थापित किया है।

पहले जमीन पर गिरी हुई थी प्रतिमा

पहले यह प्रतिमा जमीन पर गिरी हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अफसरों के अनुसार यह टूटी प्रतिमा पहले पीठ के बल जमीन पर लेटी हुई थी। बीना नदी के किनारे बसे एरण का उल्लेख सम्राट समुद्रगुप्त के शिलालेखों में ऐरिकिना के रूप में किया गया है।

ब्रिटिश आर्मी इंजीनियर और पुरातत्वविद एलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी खोज

1874-75 में ब्रिटिश आर्मी इंजीनियर और पुरातत्वविद एलेक्जेंडर कनिंघम ने इसके अवशेषों की खोज की थी। कनिंघम एएसआइ के पहले डायरेक्टर-जनरल भी थे। उन्होंने नरसिंह की विशाल प्रतिमा देखी थी, जो टूटी हुई हालत में जमीन पर पड़ी थी। देश के वरिष्ठ पुरातत्वविदों की टीम ने मूर्ति को आधार पर टिकाने और खड़ा करने की तकनीक सुझाई।

नरसिंह की दुर्लभ प्रतिमा

यह नरसिंह प्रतिमा दुर्लभ है। देश की ज्यादातर प्रतिमा में नरसिंह को गुस्से वाले रूप में ही दिखाया गया है, लेकिन इसमें वे मुस्कुरा रहे हैं। प्रतिमा 8 टन वजनी और 8 फीट ऊंची है। जो एरण कस्बे में वराह की विशाल मूर्ति के पास स्थित है। जनश्रुति है कि वाराह भगवान विष्णु के एक रूप हैं, जो पृथ्वी को बचाने आए थे। इस प्रतिमा को खड़ा करने एक सांचा बनाया गया ताकि पता चल सके कि प्रतिमा का कोई हिस्सा गायब तो नहीं है। इसके बाद संरक्षण का काम शुरू हुआ।

गुप्त काल के तीन मंदिर

एएसआइ के जबलपुर सर्कल के एसआइ शिवकांत वाजपेयी के अनुसार यहां गुप्त काल के तीन मंदिर हैं। विष्णु मंदिर, वराह मंदिर और नरसिंह मंदिर। 1874-75 में एलेक्जेंडर कनिंघम ने इस जगह का दौरा किया। उन्होंने इस जगह की ‘टूर ऑफ बुंदेलखंड एंड मालवा’ नाम से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।

वर्षों से टूटी पड़ी थी प्रतिमा

नरसिंह प्रतिमा 150 सालों से टूटी पड़ी थी। पहले इसे ठीक करने की कोशिशें की गईं, लेकिन सफलता नहीं मिली। लगभग 6 महीने पहले मरमत परियोजना के तहत नरसिंह की प्रतिमा को 26 मार्च को फिर से खड़ा कर दिया गया।

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