150 साल पुराना मंदिर
25 साल पहले हिंदू यहां बड़ी आबादी में थे लेकिन कुछ वक्त के बाद मुस्लिमों की संख्या यहां बढ़ गई। इसके बाद हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया इसका असर यहां मौजूद करीब 152 साल पुराने बांके बिहारी मंदिर पड़ा। मंदिर के संरक्षक कृष्ण कुमार ने बताया कि 2010 तक यहां पूजा-अर्चना होती थी। इस साल शरारती तत्वों ने मंदिर में विराजमान भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और शिवलिंग समेत अन्य मूर्ति को खंडित कर दिया। पुलिस कार्रवाई भी हुई, लेकिन फिर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस साल शरारती तत्वों ने मंदिर में विराजमान भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और शिवलिंग समेत अन्य मूर्ति को खंडित कर दिया। पुलिस कार्रवाई भी हुई, लेकिन फिर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। 32 साल बाद खुला मंदिर का दरवाजा
1992 में हुए दंगे के बाद मोहल्ला कछवायन स्थित प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर को 32 साल बाद प्रशासन ने मंदिर का दरवाजा खुलवा दिया। पलायन करने वाले सैनी समाज के लोगों ने बताया कि जब 1992 में दंगा हुआ तो वे लोग डर के साये में रहने लगे। इसलिए धीरे धीरे सभी परिवारों ने मोहल्ले से पलायन कर लिया। यहां से पलायन कर रहे लोगों ने इस मंदिर में ताला लगा दिया। 32 साल बाद एक बार फिर मंदिर का दरवाजा खुल गया है और लोगों ने मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू कर दी है।