सोहावल विकासखंड में यह है स्थिति वर्ष 2023-24 में सोहावल ब्लाक की औसत बारिश 563 मिमी रही। इस दौरान प्री मानसून यहां का भूजलस्तर 43 मीटर तथा पोस्ट मानसून 24 मीटर रहा। वर्ष 2024-24 में बारिश 883 मिमी रही तब प्री मानसून भूजल स्तर 42 मीटर तथा पोस्ट मानसून 20 मीटर रहा। वर्ष 2025-26 में प्री मानसून जल स्तर 39 मीटर पर आ गया है।
रामपुर बाघेलान विकासखंड की यह रही स्थिति वर्ष 2023-24 में रामपुर बाघेलान ब्लाक की औसत बारिश 538 मिमी रही। इस दौरान प्री मानसून यहां का भूजलस्तर 48 मीटर तथा पोस्ट मानसून 30 मीटर रहा। वर्ष 2024-24 में बारिश 576 मिमी रही तब प्री मानसून भूजल स्तर 47 मीटर तथा पोस्ट मानसून 29 मीटर रहा। वर्ष 2025-26 में प्री मानसून जल स्तर 45 मीटर पर आ गया है।
नागौद विकास खंड की यह रही स्थिति वर्ष 2023-24 में नागौद ब्लाक की औसत बारिश 711 मिमी रही। इस दौरान प्री मानसून यहां का भूजलस्तर 43.5 मीटर तथा पोस्ट मानसून 28 मीटर रहा। वर्ष 2024-24 में बारिश 750 मिमी रही तब प्री मानसून भूजल स्तर 42 मीटर तथा पोस्ट मानसून 26 मीटर रहा। वर्ष 2025-26 में प्री मानसून जल स्तर 43 मीटर पर आ गया है।
उचेहरा विकासखंड की यह रही स्थिति वर्ष 2023-24 में उचेहरा ब्लाक की औसत बारिश 702 मिमी रही। इस दौरान प्री मानसून यहां का भूजलस्तर 41 मीटर तथा पोस्ट मानसून 24 मीटर रहा। वर्ष 2024-24 में बारिश 927 मिमी रही तब प्री मानसून भूजल स्तर 39 मीटर तथा पोस्ट मानसून 23 मीटर रहा। वर्ष 2025-26 में प्री मानसून जल स्तर 34 मीटर पर आ गया है।
मैहर जिला संभला मैहर जिले की स्थिति सतना जिले की तुलना में कुछ ठीक पाई गई है।वर्ष 2023-24 में मैहर जिले की औसत बारिश 638 मिमी रही। इस दौरान प्री मानसून यहां का भूजलस्तर 37 मीटर तथा पोस्ट मानसून 22 मीटर रहा। वर्ष 2024-24 में बारिश 985 मिमी रही तब प्री मानसून भूजल स्तर 36.33 मीटर तथा पोस्ट मानसून 20.67 मीटर रहा। वर्ष 2025-26 में प्री मानसून जल स्तर यथावत 36.33 मीटर है।
बोरवेल पर लगानी होगी रोक भू-विज्ञानी संदीप शुक्ला ने कहा कि भू-जल स्तर में सुधार का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा बारिश का जल जमीन के अंदर पहुंचाया जाए। लेकिन यहां जिस तरीके से सीमेंट के जंगल तैयार हो रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में खेती की पद्धति में बदलाव के कारण पानी नहीं रोका जा रहा है उससे बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पा रहा है। दूसरी ओर जमीन के अंदर बोर के द्वारा बड़े पैमाने पर पानी निकाला जा रहा है। ऐसे में जमीन के अंदर का पानी ज्यादा निकलने और कम भरने की वजह से घटता जा रहा है। यह स्थिति बनी रही तो भयावह स्थितियां हो जाएंगी। इसके लिए उन्होंने बोरिंग को सख्ती से प्रतिबंधित करने की बात कही है साथ ही वर्षा बूंदों के संचय का गंभीरता से पालन करने कहा। उन्होंने नगरीय इलाकों में घरों की छतों का पानी जमीन के अंदर ले जाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता पर बल दिया।