scriptवॉल पेंटिंग के जरिए नगर पालिका बताएगी कुंवर चैन सिंह की बहादुरी के किस्से: अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए विश्वस्त साथी हिम्मत खां और बहादुर खां हुए थे शहीद | The municipality will tell the stories of Kunwar Chain Singh's bravery through wall painting: | Patrika News
सीहोर

वॉल पेंटिंग के जरिए नगर पालिका बताएगी कुंवर चैन सिंह की बहादुरी के किस्से: अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए विश्वस्त साथी हिम्मत खां और बहादुर खां हुए थे शहीद

सीहोर. शहर के युवाओं को इतिहास से जोड़े रखने के लिए नगर पालिका ने एक पहल की है। नगर पालिका शहर में जगह-जगह वॉल पेंटिंग के जरिए अपने शहर के इतिहास, धार्मिक स्थल और शहीदों के बारे में बता रही है। नगर पालिका सीहोर ने अपनी इस पहल में शहीद कुंवर चैन सिंह और नके […]

सीहोरFeb 11, 2025 / 12:53 pm

Kuldeep Saraswat

sehore news

नगर पालिका द्वारा बनवाई जा रही वॉल पेंटिंग

सीहोर. शहर के युवाओं को इतिहास से जोड़े रखने के लिए नगर पालिका ने एक पहल की है। नगर पालिका शहर में जगह-जगह वॉल पेंटिंग के जरिए अपने शहर के इतिहास, धार्मिक स्थल और शहीदों के बारे में बता रही है। नगर पालिका सीहोर ने अपनी इस पहल में शहीद कुंवर चैन सिंह और नके विश्वस्त साथी हिम्मत खां, बहादुर खां को भी प्रमुखता से रखा है
नगर पालिका ने शहर के टाउन हॉल के पास स्थित विसर्जन कुंड को फोरलेन की तरफ से टीन की चादर से कवर कराया है। सौंदर्यीकरण के लिए नगर पालिका टीन की चादर पर वॉल पेंटिंग करा रही है। इस वॉल पेंटिंग में प्रमुखता से कुंवर चैन सिंह को स्थान दिया गया है। पेंटिंग के माध्यम से न केवल कुंवर चैन सिंह की बहादुरी के किस्से बताए जा रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने विश्वस्त साथी हिम्मत खां, बहादुर खां के साथ जंग के मैदान में लड़ते हुए भी दिखाया गया है। नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि यह पहल युवा पीढ़ी को शहर के इतिहास से जोड़े रखने के लिए की जा रही है। हमारे युवा और बच्चों को पता होना चाहिए कि सीहोर शहर एतिहासिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण शहर है।

कुंवर चैन सिंह की छतरी का होगा जीर्णोद्धार

सीहोर में शहीद कुंवर चैन सिंह की छतरी भी है। स्वतंत्रता के इतिहास में सीहोर जिले की कई घटनाएं दर्ज हैं, उनमें एक अमर शहीद कुंवर चैन सिंह की शहादत भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। सीहोर में कुंवर चैन सिंह की छतरी है, यहां शहादत दिवस पर हर साल कार्यक्रम होता है। गॉड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इतिहासिक स्थल के रूप में कुंवर चैन सिंह की छतरी को विकसित किया जा रहा है, यहां कई निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं। सैकड़ाखेड़ी जोड़ स्थित शहीद स्थल के साथ कुंवर चैन सिंह की छतरी का भी जीर्णोद्धार किया जाना प्रस्तावित है।

जानें युवा, कौन हैं कुंवर चैन सिंह

देश में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पहली सशस्त्र क्रांति 1858 में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई गई थी। सन् 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी और भोपाल के तत्कालीन नवाब के बीच हुए समझौते के बाद कंपनी ने सीहोर में एक हजार सैनिकों की छावनी बनाई। पॉलिटिकल एजेंट मैडॉक को इस फौजी टुकड़ी की कमान सौंपी गई। समझौते के तहत मैडॉक को भोपाल, नरसिंहगढ़, खिलचीपुर और राजगढ़ रियासत के राजनीतिक अधिकार दिए गए। नरसिंहगढ़ रियासत के युवराज कुंवर चैन सिंह ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने अंग्रेजों के वफादार दीवान आनंदराम बख्शी और मंत्री रूपराम बोहरा को मार दिया। अमर शहीद कुंवर चैन सिंह 24 जुलाई 1824 की घोड़े पर बैठकर कैंप से बाहर जाने लग, तभी उन्हें यह कहते हुए रोका दिया कि बाहर जाने की इजाजत नहीं है। कुंवर चैन सिंह के बाहर चले जाने से युद्ध की आशंका के चलते मेडॉक ने सेना को बुलवाने का प्रबंध किया, 5 से 6 हजार सैनिक सीहोर पहुंचे थे। अंग्रेजी सेना ने 24 जुलाई 1824 की रात में कुंवर चैन सिंह के कैंप को घेर लिया और अंग्रेजी फौज द्वारा आक्रमण कर दिया गया। कुंवर चैन सिंह अपने विश्वस्त साथी हिम्मत खां और बहादुर खां सहित 43 सैनिकों के साथ अंग्रेजी फौज का वीरतापूर्वक सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

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