20 दिसंबर 2024 में खवासा रेंज के अंतर्गत एक गांव के पास खुलेकुएं में बाघिन मृत पाई गई थी। जिस कुएं में घटना हुई थी वह बिना मुंडेर का था। कुएं के ऊपरी हिस्से में घास उग आने से कुआं दिखाई नहीं दिया। कुएं की दीवार पर बाघ के पंजे के निशान भी मिले थे। बाघ ने गिरने के बाद कुएं से बाहर निकलने का प्रयास किया था। हालांकि वह निकल नहीं पाया और थकने के कारण पानी में डूब गया। बड़ी बात यह है कि पिछले पांच में जिले में बाघ के मरने का सिलसिला भी जारी है। 16 दिसंबर को पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई क्षेत्र में एक बाघ का शव मिला था, जबकि 13 नवंबर को दक्षिण वन प्रभाग के अंतर्गत दतनी गांव के पास एक वयस्क बाघ मृत पाया गया था। 17 नवंबर को पेंच टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मगरकाठा जंगल में चार महीने का एक शावक मृत पाया गया था।
मंगलवार को कुरई के ग्राम हरदुआ में स्थित एक कुएं में शिकार करते समय गिरे एक बाघिन एवं सूअर की जान ग्रामीणों की सजगता से ही बच गई। दरअसल ग्रामीणों को सूचना सुबह 8.30 बजे लगी, लेकिन रेस्क्यू टीम को पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लगा। इस दौरान ग्रामीणों ने सजगता का परिचय दिया। कुएं में लठ सहित अन्य सामान डाले। यही नहीं वन विभाग की सहायता करते हुए एक खाट भी उल्टी करके कुएं में डाल दी गई। जिसके सहारे बाघिन एवं सूअर अपनी जान बचा पाए।
इस रेस्क्यू अभियान में पेंच टाइगर रिजर्व के रेस्क्यू दल के अतिरिक्त दक्षिण सामान्य वन मंडल के वन मंडल अधिकारी एवं अन्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। रेस्क्यू के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने में तथा कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में जिला पुलिस बल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं राजस्व विभाग एवं जिला पंचायत के क्षेत्रीय अमले ने योगदान दिया।
ग्रामीणों को समय-समय पर समझाइश दी जा रही है। विभाग अपनी तरफ से भी प्रयास कर रहा है। जागरुकता से ही यह संभव है।
रजनीश कुमार सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व