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Pench tiger reserve: बाघों के कुएं में गिरने का नहीं थम रहा सिलसिला, लापरवाही वजह

फिर एक बार उठा सवाल, हो चुकी है कई घटना

सिवनीFeb 06, 2025 / 11:01 am

ashish mishra

सिवनी. कुरई के ग्राम हरदुआ में शिकार करते हुए सूअर के साथ एक बाघिन के कुएं में गिरने की घटना ने एक बार फिर सभी को झकझोर दिया है। गनीमत रही कि रेस्क्यू से बाघिन एवं जंगली सूअर दोनों को समय रहते बचा लिया गया। हालांकि इस घटना से एक बार फिर सवाल उठने लगा है। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई बाघ या बाघिन कुएं में गिरे हैं। इससे पहले भी जानवरों एवं इंसानों के कुएं में गिरने की घटना कई बार हो चुकी है। जबकि स्पष्ट निर्देश हैं कि कुएं को ढककर रखा जाए। इसके बावजूद भी लोग अपनी मनमानी पर उतारू हैं। वन क्षेत्र में खेत और गांव के आसपास के खुले कुएं में लगातार हादसे हो रहे हैं। दो माह पहले कुरई क्षेत्र के ही गांव के कुएं में गिरने से एक बाघ की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई अलग-अलग इलाकों में वन्यजीवों के कुएं में गिरने की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी कुएं को जाली लगवाने या मुंडेर ऊंची करवाने के लिए गंभीर नहीं है। जबकि विभाग के पास इस काम के लिए राशि भी उपलब्ध है।
दिसंबर में भी गिरा था बाघ, हुई थी मौत
20 दिसंबर 2024 में खवासा रेंज के अंतर्गत एक गांव के पास खुलेकुएं में बाघिन मृत पाई गई थी। जिस कुएं में घटना हुई थी वह बिना मुंडेर का था। कुएं के ऊपरी हिस्से में घास उग आने से कुआं दिखाई नहीं दिया। कुएं की दीवार पर बाघ के पंजे के निशान भी मिले थे। बाघ ने गिरने के बाद कुएं से बाहर निकलने का प्रयास किया था। हालांकि वह निकल नहीं पाया और थकने के कारण पानी में डूब गया। बड़ी बात यह है कि पिछले पांच में जिले में बाघ के मरने का सिलसिला भी जारी है। 16 दिसंबर को पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई क्षेत्र में एक बाघ का शव मिला था, जबकि 13 नवंबर को दक्षिण वन प्रभाग के अंतर्गत दतनी गांव के पास एक वयस्क बाघ मृत पाया गया था। 17 नवंबर को पेंच टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मगरकाठा जंगल में चार महीने का एक शावक मृत पाया गया था।
ग्रामीणों की सजगता से बच गई जान
मंगलवार को कुरई के ग्राम हरदुआ में स्थित एक कुएं में शिकार करते समय गिरे एक बाघिन एवं सूअर की जान ग्रामीणों की सजगता से ही बच गई। दरअसल ग्रामीणों को सूचना सुबह 8.30 बजे लगी, लेकिन रेस्क्यू टीम को पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लगा। इस दौरान ग्रामीणों ने सजगता का परिचय दिया। कुएं में लठ सहित अन्य सामान डाले। यही नहीं वन विभाग की सहायता करते हुए एक खाट भी उल्टी करके कुएं में डाल दी गई। जिसके सहारे बाघिन एवं सूअर अपनी जान बचा पाए।
अभियान में ये भी रहे शामिल
इस रेस्क्यू अभियान में पेंच टाइगर रिजर्व के रेस्क्यू दल के अतिरिक्त दक्षिण सामान्य वन मंडल के वन मंडल अधिकारी एवं अन्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। रेस्क्यू के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने में तथा कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में जिला पुलिस बल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं राजस्व विभाग एवं जिला पंचायत के क्षेत्रीय अमले ने योगदान दिया।
इनका कहना है…
ग्रामीणों को समय-समय पर समझाइश दी जा रही है। विभाग अपनी तरफ से भी प्रयास कर रहा है। जागरुकता से ही यह संभव है।
रजनीश कुमार सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व

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