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शहडोल

आतंकवाद के खिलाफ जरूरी था प्रहार, ऑपरेशन सिंदूर से मिली खुशी

मातृभूमि की सेवा करने पर गर्व, ऐसे हालात में होती है चिंता

शहडोलMay 12, 2025 / 12:19 pm

Ramashankar mishra


शहडोल. आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े प्रहार को लेकर सेना में तैनात जवान के परिजनो व भूतपर्वू सैनिको ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उनका कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के लिए करारा जवाब था। हमें इस बात का गर्व है कि हमारे परिवार के सदस्य मां भारती की सेवा में तनमन से तैनात है। वर्तमान में जिस तरह से हालात निर्मित हैं ऐसे में समय चिंता तो होती है। यह कहना है कि नगर के सोहागपुर निवासी मेजर अर्पिता द्विवेदी के पिता सुनील द्विवेदी (बिल्लू) का। उन्होने कहा कि बेटी के साथ दामाद भी सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बेटी को वर्तमान में प्रयागराज में अपनी सेवा दे रही है, लेकिन दामाद रामनारायण शुक्ला पंजाब में ही सेवा दे रहे हैं। सुनील द्विवेदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जंग जरूरी थी। हमारी सेना ने जिस तरह से आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया है वह सबसे सराहनीय कार्य है। इन्हे सबक सिखाने के लिए ऐसे ही जवाब की आवश्यकता थी। अर्पिता के छोटे भाई शुभम द्विवेदी ने बताया कि दोनो से बातचीत होती रहती है। मातृभूमि की सेवा से बढकऱ कुछ और हो ही नहीं सकता है, सह बहुत ही गर्व की बात है, थोड़ा बहुत चिंता रहती है।
युवा जोश था, लडऩे के लिए तत्पर थे
कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे भूतपूर्व सैनिक मोहन प्रसाद वर्मा ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया कि उन्होने 1983 से 2013 तक असम, जेएनके, पंजाब सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी सेवा दी है। कारगिल युद्ध के दौरान युवा जोश था और हम आर पार की लड़ाई लडऩे के लिए तैयार थे। दगाबाजी कर जिस तरह से कब्जे की कोशिश की गई थी उसे मुहतोंड़ जवाब देना था। वर्तमान में भी स्थिति ऐसी ही है। आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने का सही समय है। इसके लिए कठोर निर्णय लिया जाना चाहिए।
वैवाहिक कार्यक्रम में आए थे, वापसी की तैयारी
भारत पाकिस्तान के बीच निर्मित तनाव की स्थिति को देखते हुए अवकाश पर आए सेना के जवानों को वापस बुलाया गया है। घर वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अवकाश लेकर 4 मई को गांव पहुंचे दमोय निवासी राहित मिश्रा रिकॉल के बाद अपनी ड्यूटी पर रवाना हो गए। आगामी 22 मई को उनके भाई की शादी हैं। इससे पहले रिकॉल आने पर उन्हे सबकुछ छोंडकऱ वापस जाना पड़ा।

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