सुरक्षा के ठोस इंतजाम नहीं: गर्मी में धधक रहे जंगल, आग से वन संपदा को लाखों का हो रहा नुकसान
जंगल की छोटी-बड़ी आग की घटनाओं को अधिकारियों ने किया नजरअंदाज सिंगरौली. अप्रेल माह के पहले सप्ताह से शुरू हुई आगजनी की घटनाएं अभी जारी हैं। हर दूसरे दिन वन संपदा जलकर राख हो रही है। इसके बाद भी अफसरों की नींद नहीं टूट रही है। पहले चितरंगी के चितावल के जंगल में आग लगी। […]


गर्मी में धधक रहे जंगल, आग से वन संपदा को लाखों का हो रहा नुकसान
जंगल की छोटी-बड़ी आग की घटनाओं को अधिकारियों ने किया नजरअंदाज सिंगरौली. अप्रेल माह के पहले सप्ताह से शुरू हुई आगजनी की घटनाएं अभी जारी हैं। हर दूसरे दिन वन संपदा जलकर राख हो रही है। इसके बाद भी अफसरों की नींद नहीं टूट रही है। पहले चितरंगी के चितावल के जंगल में आग लगी। फिर उसके बाद माड़ा रेंज के मकरोहर जंगल और अब गोभ व ढोंगा के जंगल आगजनी की घटना में स्वाहा हो रहे हैं। इसके अलावा बरगवां, देवसर, सरई व चितरंगी के जंगलों में भी आगजनी की घटनाएं लगातार हो रही हैं। छोटी-बड़ी आगजनी की घटनाओं को विभाग के अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं। एक ओर जहां अधिकारी जंगलों को संरक्षित व सुरक्षित करने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वन संपदा धधक रही है। जिससे वन विभाग को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
आग की घटनाओं को अधिकारियों ने किया नजरअंदाज
हाल ही में हुई आगजनी की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि घटनाओं पर काबू पाने के लिए वन अमले के पास कोई इंतजाम नहीं है। इस बार चितरंगी के चितावल कला व वैढऩ के गोभा के अलावा, जियावन, सरई, माड़ा के जंगलों में हुई आगजनी की घटनाओं से वन्य प्राणी भी संकट में आ गए हैं। इस दौरान वन्य प्राणियों का डेरा रिहायसी इलाकों में हो गया है। जिससे स्थानीय लोगों की रात दहशत के साये में गुजर रही है।
यह हैं उदाहरण
केस-एक: गोभा जंगल में एक सप्ताह से आग लगी थी। इससे न केवन वन्य प्राणियों को खतरा है बल्कि आसपास गांवों के लोग भयभीत रहे। जैसे ही तेज हवाओं का दौर चला कि आग धीरे-धीरे बेकाबू होकर करीब पांच किमी से अधिक क्षेत्र में फैल गई थी। जिससे लाखों रुपए की कीमती लकडिय़ां व छोटे-बड़े पौधे जलकर खाक हो गए हैं।
केस-दो: जियावन रेंज के ढोंगा जंगल में आग से वन संपदा स्वाहा हो गई है। आग शाम को लगी थी जंगल में इतना फैल गई कि आसपास की बसाहट के आदिवासी परिवार दहशत में आ गए। मौके पर जियावन रेंज के प्रभारी दलबल के साथ पहुंचकर स्थानीय ग्रामीणों सहित वन अमले की मदद से घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
ये नजरअंदाज
फायर वाचक (चौकीदार)
जंगल में फैली सूखी पत्तियों को काटते हैं।
चौबीस घंटेे अलग-अलग चौकीदार ड्यूटी करते हैं।
छोटी-छोटी टहनियों को काटकर आग बुझा सकते हैं।
आगजनी की घटना पर जंगल में पत्तियों की लाइन काट दें।
वन मंडल के सभी रेंजों में मेडिकल होना चाहिए।
गांव के लोग ही जंगल में लगा रहे आग
जंगलों को आग से बचाने के लिए इंतजाम किए गए हैं। मगर ग्रामीणों की ओर से जंगल में आग लगाई जा रही है। कई बार स्थानीय लोगों को इस संबंध में बारीकी से बताया गया है इसके बावजूद लोग लापरवाही कर रहे हैं। आग लगाते पकड़े जाने पर कार्रवाई होगी। अखिल बंसल, डीएफओ
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