1503 में हुआ था बांध का निर्माण यहां काली माता मंदिर के पास मिले एक शिलापट्ट के अनुसार राव अखेराज ने 1503 ईस्वी में इस आखेलाव तालाब का निर्माण कराया था। इसी बांध से सटकर मानसरोवर बांध बना हुआ है। यहां बांध की पाल पर काली माता का मंदिर होने से क्षेत्र के लोग इसे कालकाजी तालाब के नाम से भी जानते हैं। बांध से दो नहरों के जरिए कमाण्ड एरिया में कृषि भूमि की सिंचाई होती थी। बांध से सिरोही-मंडार स्टेट हाईवे तक पक्की नहर और इसके आगे रामपुरा तक कच्ची नहर से खेतों तक पानी पहुंचता था।
327.94 हैक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र में होती थी सिंचाई इस बांध से दो नहरें निकलती हैं। जल संसाधन विभाग की ओर से नहरों का संचालन किया जाता था। बांध से करीब 327.94 हैक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई होती थी। वर्तमान में काम नहीं आने व जल संसाधन विभाग की अनदेखी से कई जगह नहर कचरा-मिट्टी से अटी है, तो कई जगह लोगों ने अतिक्रमण कर लिया।
सिंचाई बंद हुई तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ी नहर जल संसाधन विभाग के अधीन इस बांध से वर्ष 2011 से पहले तक नहर के जरिए सिंचाई की जाती थी। इसके बाद बांध के पास से रामपुरा की सीमा तक करीब 70 फीसदी से अधिक कृषि भूमि आबादी में परिवर्तित हुई तो जल संसाधन विभाग ने नहर से सिंचाई बंद कर दी। नहर काम नहीं आने से कई जगह मिट्टी से अटी पड़ी है तो अधिकांश जगह कॉलोनाइजरों और आसपास के लोगों ने सार्वजनिक नहर पर अतिक्रमण कर निर्माण कर लिए। हालात यह कि कई जगह तो ढूंढने से भी नहीं दिख रही। जबकि जल संसाधन विभाग की ओर से सार्वजनिक सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।
सिंचाई बंद होने से नहर समाप्त हो गई करीब दो दशक पहले कालकाजी बांध से सिरोही से लेकर रामपुरा तक कृषि भूमि की सिंचाई होती थी। स्टेट हाईवे तक तो नहर पक्की और आगे कच्ची बनी थी। बाद में जगह-जगह कॉलोनियां कटने से सिंचाई बंद होने से नहर ही समाप्त हो गई।
देवाराम सुथार, सरपंच, रामपुरा सर्वे करवाकर करेंगे कार्रवाई कृषि भूमि में कॉलोनियां कटने से नहर से सिंचाई बंद हो गई। इस नहर का सर्वे करवाकर कार्रवाई की जाएगी। शिवप्रकाश, एक्सईएन, जल संसाधन खण्ड, सिरोही