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श्री गंगानगर

राजस्थान के इस सरकारी स्कूल में 7 बच्चों को पढ़ाने के लिए तैनात है 12 शिक्षक, क्या बोले मदन दिलावर

Rajasthan Govt School News: झुंझुनूं के रायपुर अहीरान के राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल में 7 छात्र हैं, लेकिन 12 शिक्षक तैनात हैं। चार कक्षाएं खाली हैं, और शिक्षकों के वेतन पर 10 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।

श्री गंगानगरMay 03, 2025 / 01:44 pm

Akshita Deora

प्रतीकात्मक तस्वीर

दीपक शर्मा

राजस्थान के सरकारी स्कूल बच्चों की शिक्षा से ज्यादा शिक्षकों को ‘एडजस्ट’ करने का जरिया बन गए हैं। प्रदेश में 1,000 से अधिक स्कूलों में 10 से कम विद्यार्थी हैं, जहां शिक्षकों की संख्या छात्रों से ज्यादा है। यह हाल शिक्षा विभाग के समानीकरण दावों की पोल खोलता है। प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। जयपुर में 350, कोटा, अलवर, झुंझुनूं, जैसलमेर, दौसा, टोंक और करौली जैसे जिलों में सैकड़ों स्कूलों में यही स्थिति है। शिक्षा विभाग को समानीकरण, तबादला नीति और संसाधन वितरण पर ठोस कदम उठाने होंगे। स्कूलों को बच्चों की जरूरतों के हिसाब से चलाना होगा, न कि शिक्षकों की सुविधा के लिए।

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चौंकाने वाली हकीकत

झुंझुनूं के रायपुर अहीरान के राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल में 7 छात्र हैं, लेकिन 12 शिक्षक तैनात हैं। चार कक्षाएं खाली हैं, और शिक्षकों के वेतन पर 10 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। जिले में 40 स्कूलों में 10 से कम नामांकन है। हनुमानगढ़ के चक तीन टीकेडब्ल्यू प्राथमिक विद्यालय में 1 छात्र और 2 शिक्षक हैं, जबकि जिले के 68 स्कूलों में नामांकन 10 से कम है। कोटा के गोरधनपुरा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 4 बच्चों पर 6 शिक्षक हैं। करौली के रंगमहल और भम्बूपुरा जैसे स्कूलों में शून्य नामांकन है, फिर भी शिक्षक नियुक्त हैं, जिन्हें अन्य स्कूलों में भेजा गया है।

ऐस भी स्कूल जहां एक छात्र नहीं

अलवर के मूंडिया गांव के प्राथमिक स्कूल में 3 छात्र थे, जो सत्र के बीच गायब हो गए, और शिक्षक को दूसरी जगह भेज दिया गया। दौसा के गरस्या ढाणी सीकरी स्कूल में 2 छात्रों पर 2 शिक्षिकाएं हैं। टोंक के कल्याण नगर में 9 बच्चे और 2 शिक्षक हैं। करौली के नयापुरा आगिर्री में 4 बच्चों पर 2 शिक्षक तैनात हैं। कई स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जबकि आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है।
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तबादलों का अटका खेल

तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले वर्षों से लंबित हैं। हजारों शिक्षक गृह जिले या सुविधाजनक स्थानों पर तबादले की प्रतीक्षा में हैं। शिक्षा विभाग की उदासीनता से शिक्षक तनाव में हैं, जिसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।

दस से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालय

जयपुर- 350

श्रीगंगानगर- 175

जैसलमेर- 171

भीलवाड़ा- 80

हनुमानगढ़- 68

ब्यावर- 44

सवाईमाधोपुर- 34

अलवर- 33

कोटा- 30

बूंदी- 30
टोंक- 20

दौसा- 20

करौली- 3

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— जिन स्कूलों में छात्र नामांकन कम हैं और शिक्षकों की संख्या अधिक है। ऐसे स्कूलों से शिक्षकों को हटाकर उन स्कूलों में लगाया जाएगा जहां पर शिक्षकों की जरूरत है। तबादलों से रोक हटने के बाद यह फेरबदल किया जाएगा।
मदन दिलावर, शिक्षा मंत्री

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