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पशुपालकों की बल्ले-बल्ले, चारे के रेट में आई भारी गिरावट, जानें वजह

Rajasthan News : राजस्थान के टोंक के सोप में रबी सीजन में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। इससे पशुपालकों को बड़ी राहत हुई है। साथ ही चारे के रेट में भारी गिरावट हुई है।

टोंकApr 13, 2025 / 02:48 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan Tonk Cattle Farmers Big Relief Wheat Crop Bumper Fodder Prices Huge Drop

गेहूं की बंपर फसल से चारा आधे दाम पर मिलने लगा

Rajasthan News : सोप में रबी सीजन में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। क्षेत्र की, सोप, झुडवा, आमली, मोहम्मदपुरा, पायगा ग्राम पंचायतों के गांवों में इस बार 1816 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई। इससे चारा भी भरपूर हुआ है। इससे चारे के दाम 100 से 150 रुपए मन तक गिर गए हैं। पिछले साल यही चारा 350 से 400 रुपए मन में बिक रहा था। अब वहीं चारा 150 से 200 रुपए मन में आसानी से मिल रहा है। चारा सस्ता होने से पशुपालकों को बड़ी राहत मिली है।

इस बार बाहर से चारा मंगवाने की जरूरत नहीं

अधिकतर पशुपालक खुद किसान हैं। उनके खेतों में इस बार गेहूं की अच्छी फसल हुई है। इससे उन्हें बाहर से चारा मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस बार बारिश भी अच्छी हुई। कुएं और बोरवेल में पानी का स्तर बढ़ा। खेतों में गेहूं, जौ, सरसों और चने की भरपूर पैदावार हुई।लेकिन पशुओं के लिए सबसे अच्छा चारा गेहूं की फसल से ही मिलता है और ग्राम पंचायत सोप, पायगा, आमली मोहम्मदपुरा, मंडावरा, देवली, खातोली, झुडवा, हैदरीपुरा, पचाला और चोरु इलाके में गेहूं की पैदावार सबसे ज्यादा हुई है।

अभी चारे के दाम और गिरने की संभावना

किसानों के खेतों में चारे की कोई कमी नहीं है। अब पशुपालकों को हाड़ोती क्षेत्र के इटावा, खातोली, रजोपा, मांगरोल, बूंदी, लाखेरी, बांसी, दुगारी और इन्द्रगढ़ जैसे इलाकों से चारा मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्थानीय स्तर पर ही चारा आसानी से मिल रहा है। अभी चारे के दाम और गिरने की संभावना है।
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जौ का चारा नहीं खरीद रहे पशुपालक

इन दिनों ग्रामीण इलाकों में किसानों के खेतों में कहीं फसल कटाई का काम चल रहा है, तो कहीं थ्रेसर से गेहूं निकालने का काम हो रहा है। खेतों में जगह-जगह गेहूं के चारे के ढेर लगे हुए हैं। हालांकि इस बार सभी इलाकों में गेहूं की बंपर पैदावार से किसानों को चारे के भाव कम मिल रहे हैं। किसान शोभाक धाकड़,मदन मीना, रामदेव गुर्जर, छोटू गुर्जर, बद्री नागर और बृजमोहन धाकड़ ने बताया कि इस बार इलाके में अच्छी मावठ हुई। इससे गेहूं की बंपर पैदावार हुई। खेतों में चारे की भी भरपूर पैदावार हुई है। इस बार गेहूं का चारा अच्छा पैदा होने से पशुपालक जौ का चारा नहीं खरीद रहे हैं।

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